गढ़वा.
सेवानिवृत्ति की उम्र (आम तौर पर 60 वर्ष) होते ही मान लिया जाता है कि अब संबंधित व्यक्ति को आराम की जिंदगी बितानी चाहिए. इस उम्र में ज्यादातर लोगों का जज्बा कम भी हो जाता है और ऐसे लोग खुद में व अपने परिवार में सिमटने लगते हैं. लेकिन समाज में कई ऐसे लोग भी हैं, जो नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद भी सामाजिक कार्यों से सेवानिवृत नहीं हुए. गढ़वा जिला पेंशनर्स समाज के जिला सचिव अशर्फी राम के शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए 10 वर्ष बीत गये. लेकिन वे विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़कर उसी उत्साह से काम में लगे हैं. वह अक्सर पैदल चलना ही पसंद करते हैं. श्रीराम गढ़वा जिला पेंशनर्स समाज के सचिव के अलावे भी कई संगठन से जुड़कर लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए विभिन्न कार्यालयों के चक्कर लगाते रहते हैं. श्री राम ने कहा कि वह अंत समय तक सक्रिय रहना चाहते हैं. इसी तरह शिक्षक के पद से सेवानिवृत विजय पांडेय ने भी अपनी दूसरी पारी डाकघर के अभिकर्ता के रूप में शुरू की है. सेवानिवृत्ति के बाद वह अपने बच्चों की परवरिश की जिम्मेवारी से मुक्त हैं. लेकिन स्वयं को सक्रिय रखने के लिए प्रतिदिन तय समय पर डाकघर जाते हैं और वहां मिले अपने दायित्वों का निर्वहण करते हैं. उन्होंने कहा कि सेवानिवृति की उम्र पूरी होने के बाद भी सभी को स्वयं को किसी न किसी रूप में सक्रिय रखना चाहिए.खरौंधी के खोखा चंदना गांव निवासी माणिक राय भी अभी तक उसी उर्जा के साथ राजनीतिक व सामाजिक गतिविधियों में स्वयं को व्यस्त रखा है. माणिक राय लंबे समय से राजनीतिक स सामाजिक गतिविधियों से जुड़े हैं. वर्तमान में वह जदयू के जिलाध्यक्ष के पद पर हैं. वह जिले के अंतिम छोर पर यूपी सीमा से सटे खोखा गांव के रहनेवाले हैं. लेकिन वह अक्सर लंबा सफर तय कर आम लोगों के कार्यों व समस्याओं को लेकर जिलास्तरीय कार्यालय के चक्कर लगाते मिल जायेंगे.
जिला दस्तावेज नवीस संघ के अध्यक्ष शंभूनाथ दूबे भी सेवानिवृति की उम्र पार कर चुके हैं. लेकिन अभी भी संघ के कार्यों से जुड़े हैं और संघ के सदस्यों की समस्याओं को लेकर हमेशा सक्रिय रहते हैं. उन्होंने कहा कि जिस दिन हम स्वयं को बूढ़े मान लेंगे, उसी दिन से हमपर बुढ़ापा हावी होने लगेगा. इसलिए हमेशा सक्रिय रह कर अपना रुटीन फॉलो करना चाहिए.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है