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बाल विवाह रोकना तभी संभव, जब बालिकाएं हों जागरूक

बाल विवाह रोकना तभी संभव, जब बालिकाएं हों जागरूक

रंका. बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया. इसका उद्घाटन एसडीपीओ रोहित रंजन सिंह, वार्डेन अनिमा बेक, समाजसेवी अमरेंद्र कुमार ने किया. एसडीपीओ ने कहा कि बाल विवाह देश की बड़ी समस्या है. भारत में प्रतिदिन चार हजार बाल विवाह हो रहा है. इसे रोकना समाज के लिए एक बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह रोकना तभी संभव है जब बालिकाएं जागरूक होंगी. उन्होंने कहा कि बालिकाओं को 18 वर्ष से कम उम्र शादी करना बाल विवाह कहलाता है. कानून में बालिकाओं को 18 वर्ष से कम उम्र में शादी करना वर्जित है. ऐसा होने पर प्रशासन को सूचना दें. बाल विवाह रोका जा सकता है. कहा यदि माता-पिता कम उम्र में बेटियों को शादी करते हैं, तो उनपर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है. इसके तहत उन्हें जेल जाना पड़ सकता है. बेटियों को होती है परेशानी : एसडीपीओ ने कहा कि माता-पिता बेटियों को बोझ समझते हैं तथा कम उम्र में ही अपनी बेटियों की शादी कर देते हैं. इससे बेटियों को बहुत परेशानी होती है. जन्म लेने बच्चे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. ऐसे बच्चे आगे चलकर कमजोर हो जाते हैं. माता भी कमजोर हो जाती हैं. इस तरह माता को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है. उन्होंने कहा कि बच्चियां बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाएं. अपने पास-पड़ोस में होने वाले बाल विवाह को जागरूक कर उसे रोकें. बेटियां खूब पढ़ें : उन्होंने उपस्थित सभी बच्चियों को आज से ही बाल विवाह रोकने की प्रण लेने की बात कही तथा खूब पढ़ने को कहा. मौके पर समाजसेवी अमरेंद्र कुमार व वार्डेन अनिमा बेक ने भी बाल विवाह मुक्त भारत पर अपने विचार व्यक्त किये. कार्यक्रम के अंत में बाल विवाह मुक्त भारत बनाने की शपथ दिलायी गयी. मौके पर विद्यालय की सभी छात्राएं उपस्थित थी.

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