गढ़वा.
गढ़वा का रामा साहू स्टेडियम: जो कभी जिले की शान था, अब उपेक्षा और बदहाली का नमूना बन गया है. निर्माण के बाद यह स्टेडियम जिला स्तरीय क्रिकेट, फुटबॉल, एथलेटिक्स, कुश्ती, कबड्डी जैसी खेल प्रतियोगिताओं का केंद्र बना. यही नहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों और जिला प्रशासन द्वारा आयोजित अन्य बड़े आयोजनों के लिए भी यही मैदान प्रमुख स्थल था. उस समय जिले में यह एकमात्र पूर्ण सुविधायुक्त स्टेडियम था. मरम्मत के नाम पर कुछ नहीं : कलांतर में इस स्टेडियम के जिर्णोद्धार के नाम पर लाखों रुपये आवंटित किए गये. पर रंग-रोगन, पाइपलाइन मरम्मत, पंखे लगाना व दरवाजे बदलने जैसे अन्य कार्य कागज पर ही दिखाये गये. दरअसल आवंटित राशि का एक चौथाई भी उपयोग नहीं किया गया. परिणामस्वरूप, वर्षों बाद भी यहां न बिजली की व्यवस्था है, न पीने के पानी की. खिलाड़ियों को आयोजनों में पानी बाहर से खरीद कर लाना पड़ता है.खंडहर में तब्दील हो रहा है स्टेडियम : वर्तमान में स्टेडियम की स्थिति बेहद चिंताजनक है. दो मंजिला भवन के लगभग सभी दरवाजे-खिड़कियां उखाड़ लिये गये हैं. बिजली के पंखे, फिटिंग्स, पानी के पाइप तक चोरी हो चुके हैं. कमरे उजाड़ पड़े हैं और मैदान में घास-पात और गंदगी का अंबार है. यहां आवारा पशुओं का भी बसेरा रहता है.
नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा : स्थानीय लोगों के अनुसार शाम ढलते ही स्टेडियम परिसर नशेड़ियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन जाता है. इस पूरे हालात को लेकर लोगों ने कई बार प्रशासन से शिकायत भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.खिलाड़ी अब भी यहीं करते हैं अभ्यास : इस स्टेडियम मेें डे-बोर्डिंग सेंटर का संचालन होता है. जहां सुबह-शाम युवा एथलीट, क्रिकेट खिलाड़ी और अन्य खेलों के प्रतिभागी पसीना बहाते हैं. लेकिन उनके लिए वहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है. यद्यपि शहर के दूर स्थित यह स्टेडियम अब नियमित खिलाड़ियों की पहुंच से बाहर हो गया है. सुविधा के अभाव में स्थानीय खिलाड़ियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
खेल संघों की पहल नाकाफी, प्रशासन मौन : स्थानीय खेल संगठनों ने कई बार जिला प्रशासन से स्टेडियम के पुनरुद्धार की मांग की, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन मिला. न योजना बनी, न कोई बजट पारित हुआ. आज भी स्टेडियम का कोई स्थायी केयरटेकर या प्रबंधन तंत्र मौजूद नहीं है.खेल प्रेमियों की उम्मीदें अब भी बाकी : गढ़वा के खेल प्रेमियों और पूर्व खिलाड़ियों का मानना है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो यह स्टेडियम फिर से गुलजार हो सकता है. सरकार और जिला प्रशासन को चाहिए कि इस स्टेडियम को पुनर्जीवित करने के लिए एक ठोस कार्य योजना बनाकर अमल में लायें. आज केंद्र और राज्य सरकारें खेलो इंडिया और फिट इंडिया जैसी योजनाएं चला रही हैं. ऐसे में यह समय की मांग है कि इसे पुनर्जीवित कर आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत खेल मंच प्रदान किया जाये.
वर्ष 2008-09 में बना था स्टेडियमवर्ष 2008-09 की शुरुआत में इस स्टेडियम का निर्माण मझिआंव रोड स्थित बाजार समिति के समीप कराया गया था. इस दो मंजिला भवन में लगभग 20 से 25 कमरे बनाये गये थे. ग्राउंड फ्लोर पर खिलाड़ियों के लिए आठ कमरे, शौचालय, स्नानघर, साफ-सुथरी जल निकासी व्यवस्था और ऊपर के तल पर भी रहने और संचालन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी थी. परिसर को पूरी तरह चारदीवारी से घेरा गया और दो विशाल प्रवेश द्वार भी बनाये गये थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है