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9000 एकड़ वन क्षेत्र को नष्ट कर हो रही खेती

भवनाथपुर(गढ़वा) : भवनाथपुर वन क्षेत्र के आधा दर्जन पंचायतों में पिछले सात वर्ष से तेजी से जंगलों की कटाई की जा रही है. बीते इन वर्षों में लगभग 9000 एकड़ जंगल को काट कर लोगों ने वहां गांव बसा लिया और वन भूमि पर खेती की जा रही है. जंगल काटने में वनकर्मी की मिलीभगत […]

भवनाथपुर(गढ़वा) : भवनाथपुर वन क्षेत्र के आधा दर्जन पंचायतों में पिछले सात वर्ष से तेजी से जंगलों की कटाई की जा रही है. बीते इन वर्षों में लगभग 9000 एकड़ जंगल को काट कर लोगों ने वहां गांव बसा लिया और वन भूमि पर खेती की जा रही है. जंगल काटने में वनकर्मी की मिलीभगत भी शामिल है.
जंगल काटने के आरोप में अबतक 250 लोगों पर वन विभाग ने मामला दर्ज कराया है. इसके अलावा जंगल की कटाई को रोकने के लिए वन विभाग ने कोई भी ठोस पहल नहीं की.
भवनाथपुर के कैलान, पंडरिया, सिंदुरिया, मकरी, अरसली उतरी, अरसली दक्षिणी पंचायत में घना जंगल हुआ करता था, लेकिन जब से वन अधिकार अधिनियम लागू हुआ, तब से पट्टा पाने के लिए तेजी से जंगल काटे जाने लगे. इसमें पंचायत के कुछ बिचौलिये, वन अधिकारी, कर्मचारी व अंचलकर्मी भी शामिल हैं. वन अधिकारी दबंग माफिया पर अंकुश लगाने के बजाय गरीबों पर ही रोब झाड़ते रहते हैं.
वर्ष 2008 में बंधक बने थे रेंजर : वर्ष 2008 में जंगल काटने रोकने पहुंचे रेंजर शांति प्रकाश खेस को 26 जून 2008 को कैलान के मुड़हा पहाड़ पर कैलाश अगरिया अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बंधक बना लिया था.
सूचना मिलने पर तत्कालीन थाना प्रभारी रामजी प्रसाद दल-बल के साथ मौके पर पहुंच कर रेंजर को मुक्त कराया था और कैलाश अगरिया सहित आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया था.
किन पंचायतों में कितने जंगल कटे : पिछले सात वर्षों में काटे गये जंगलों में मकरी पंचायत के कवाड़ी में 100 एकड़, नेपालखोह में 500 एकड़, छमइलवा में 100 एकड़,कैलान में कुल 4500 एकड़, इसमें नावानगर 500 एकड़, रामनगर 1000 एकड़, अयोध्या नगर में 400 एकड़, महानगर में सात 700 एकड़, मंगरदह में एक हजार एकड़, झूरहा में 500 एकड़, सिंदुरिया के शिव नगरी में 500 एकड़, अरसली उतरी में 700 एकड़, पंडरिया पंचायत में 1100 एकड़ आदि शामिल है.

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