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रोहिणी का नहीं बरसना हो सकता है अशुभ संकेत

कड़ी धूप व उमस से शुरू हो रहा है आषाढ़ महीनाविनोद पाठक, गढ़वामॉनसून के पहुंचने से पूर्व की हुई बूंदा-पानी ने जहां तापमान को फिलहाल गिरा दिया है, वहीं उमस व बेचैनी बढ़ा दी है. क्योंकि बारिश तो हुई नहीं, लेकिन आसमान में बादल का अंश रहने से कभी कड़ी उमसवाली धूप तो कभी बादल […]

कड़ी धूप व उमस से शुरू हो रहा है आषाढ़ महीनाविनोद पाठक, गढ़वामॉनसून के पहुंचने से पूर्व की हुई बूंदा-पानी ने जहां तापमान को फिलहाल गिरा दिया है, वहीं उमस व बेचैनी बढ़ा दी है. क्योंकि बारिश तो हुई नहीं, लेकिन आसमान में बादल का अंश रहने से कभी कड़ी उमसवाली धूप तो कभी बादल की स्थिति बन जा रही है. सोमवार की बूंदा-बांदी से किसानों को उम्मीद बन रही थी कि पहली बारिश कम से कम इतना जरूर होगा कि धरती का ऊपरी परत पूरी तरह से नम हो जाये. लेकिन गढ़वा जिले के अधिकांश प्रखंडों में बारिश के नाम पर सिर्फ मेघ गर्जना की सुनने को मिली. विदित हो कि कृषि की संभावना रोहिणी नक्षत्र से ही बनती दिखती है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक रोहिणी नक्षत्र में इतनी बारिश जरूर होनी चाहिए कि इससे मवेशियों के खूर(पैर) में कीचड़ लग जाये. तब यह उम्मीद की जाती है कि आगे अच्छी बारिश का योग शुभ है. रोहिणी की बारिश का एक बड़ा असर पड़ता है कि खेतों में मवेशियों के लिये चारा उगने शुरू हो जाते हैं. साथ ही लू का असर भी समाप्त हो जाता है. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और रोहिणी नक्षत्र का अवसान होने को है. अब बुधवार से आषाढ़ शुरू हो जा रहा है. मॉनसून विभाग के अनुसार मॉनसून के इस इलाके में पहुंचने में अभी कम से कम 15 दिन का समय लगेगा. वैसे भी अक्सर यहां लगभग 20 जून के बाद ही मॉनसून पहुंच पाता है. ऐसे में किसानों को आधे आषाढ़ महीने तक एक अच्छी बारिश से वंचित रहना पड़ सकता है. इसका मतलब है कि यह इलाका अभी भी लू व भीषण गरमी से तपेगा. इसके कारण पानी संकट व पशु चारे के संकट से निजात मिल पाना संभव नहीं दिखता है.

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