पिछले चुनाव में 47579 मत लाकर तीसरे नंबर पर था झामुमो
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जनसंघी व समाजवादियों के गढ़ में पहली बार झामुमो ने की सेंधमारी
पिछले चुनाव में 47579 मत लाकर तीसरे नंबर पर था झामुमो गढ़वा : गढ़वा एक अरसे से जनसंघियों और समाजवादियों का क्षेत्र रहा है. वर्ष 1980 तक यहां या तो कांग्रेस या समाजवादी दलों से जुड़े नेता विजयी होते रहे हैं. लेकिन 1980 के बाद यहां कांग्रेस के मतदाताओं में समाजवादियों ने पूरी तरह से […]
गढ़वा : गढ़वा एक अरसे से जनसंघियों और समाजवादियों का क्षेत्र रहा है. वर्ष 1980 तक यहां या तो कांग्रेस या समाजवादी दलों से जुड़े नेता विजयी होते रहे हैं. लेकिन 1980 के बाद यहां कांग्रेस के मतदाताओं में समाजवादियों ने पूरी तरह से सेंध मारते हुए सदा के लिए हाशिये पर कर दिया. गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस इतने हाशिये पर चली गयी कि अब वह यहां अपना प्रत्याशी भी नहीं देती है. बल्कि सहयोगी दलों को समर्थन देकर अपनी सीमा में रहने को मजबूर हो गयी है.
इसके कारण यहां वर्ष 1985 और 1990 के चुनाव में भाजपा ने अपना कब्जा जमाया. बाद में यह सीट समाजवादियों के कब्जे में आ गया. तब लगातार 1993 के उप चुनाव से लेकर 1995, 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में लगातार राजद से गिरिनाथ सिंह यहां से जीतते रहे.
वर्ष 2009 में पहली बार यह सीट झाविमो को मिला. लेकिन झाविमो विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी फिर भाजपा में शामिल हो गये और 2014 के चुनाव में वह काफी अर्से के बाद भाजपा को यह सीट वापस दिलाने में सफल रहे. इस बीच इस सीट पर झामुमो सिर्फ अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए चुनाव लड़ता रहा. वर्ष 2005 के चुनाव में झामुमो प्रत्याशी तुलसी सिंह खरवार को करीब 16 हजार मत आये, तो यह परिणाम सबको चौंका रख दिया.
यद्यपि इस चुनाव में खड़े जदयू प्रत्याशी का तर्क था कि उसके मतदाता भूलवश तीर की जगह तीर-धनुष को दबा दिये होंगे. इसके बाद वर्ष 2009 में पहली बार झामुमो के टिकट पर मिथिलेश कुमार ने चुनाव लड़ा. उस समय झामुमो के कई लोग अचानक मिथिलेश कुमार ठाकुर को गढ़वा में अपना क्षेत्र बनाने पर नाराज भी हुए थे. उस चुनाव में मिथिलेश को मात्र 14180 मत मिले थे. लेकिन मिथिलेश ठाकुर इससे विचलित नहीं हुए. बल्कि वे गढ़वा में अपना अच्छा समय देकर लोगों के बीच कई सेवा कार्य करते रहे.
गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने काफी मेहनत की. इसके बाद वर्ष 2014 का चुनाव उन्होंने काफी मजबूती से लड़ा. इसका परिणाम रहा कि उन्हें इस चुनाव में 47579 मत मिले. यद्यपि इतना अच्छा मत लाकर भी मिथिलेश ठाकुर इस चुनाव में तीसरे स्थान पर थे. बावजूद झामुमो को इतना मत आना लोगों को चौंकाने का काम किया. पिछले चुनाव में मिले मतों से उत्साहित मिथिलेश ठाकुर ने इस बार काफी मेहनत की.
इसमें उनको संयोग बन गया कि वे इस बार गठबंधन के प्रत्याशी बन गये. इसके कारण कांग्रेस और राजद के परंपरागत मतों के अलावा इस दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं का भी साथ मिला और वे भाजपा से यह सीट छीनते हुए पहली बार लोगों को तीर-धनुष के प्रति आकर्षित करने में सफल रहे.
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