धालभूमगढ़. घाटशिला अनुमंडल में धालभूमगढ़ प्रमुख रेलवे स्टेशन है. इसके बावजूद यहां एक भी एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव नहीं है. यहां रेल यार्ड से करोड़ों की कमाई कर रहे रेल प्रशासन से स्थानीय लोगों ने कई बार गुहार लगायी. इसके बावजूद न एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव शुरू हुआ, न फुट ओवर ब्रिज का विस्तार और अंडरपास का निर्माण हुआ. बहरागोड़ा से लेकर बंगाल बॉर्डर तक लोग यहां ट्रेन पकड़ने आते हैं. रोजाना हजारों की संख्या में नौकरी पेशा, विद्यार्थी व मजदूर यहां से टाटानगर व खड़गपुर आवागमन करते हैं. रेल प्रशासन सुविधाओं पर ध्यान नहीं दे रहा है. स्थानीय लोगों ने रेल प्रशासन पर धालभूमगढ़ से सौतेला व्यवहार का आरोप लगाया. लोगों ने सांसद विद्युत वरण महतो से भी कई बार गुहार लगायी, लेकिन निराशा ही हाथ लगी. वर्तमान में करोड़ों रुपये खर्च कर स्टेशन परिसर चकाचक बन गया है. यहां 6 नंबर तक प्लेटफार्म बन गया है.
पहले दो एक्सप्रेस रुकती थी, कोरोना काल में मेदिनीपुर-पुरुलिया मेमू भी बंद
स्थानीय लोगों ने बताया कि पहले यहां शालीमार-कुर्ला और हावड़ा-हटिया एक्सप्रेस का ठहराव होता था. अचानक रेलवे प्रशासन ने ठहराव बंद कर दिया. इन्हें चालू करने के लिए रेल यात्री समिति के रतन महतो, तत्कालीन सांसद डॉ अजय कुमार, प्रदीप कुमार बलमुचु आदि ने कई बार आंदोलन किया. आज तक एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं हुआ. कोरोना काल में मेदिनीपुर-पुरुलिया मेमू भी बंद कर दिया गया. इससे लोगों को काफी दिक्कत हो रही है.ओवर ब्रिज नहीं : खड़ीं गाड़ियों के नीचे से या चार किमी घूमकर आवागमन करते हैं लोग
धालभूमगढ़ स्टेशन पर मूलभूत यात्री सुविधाओं का अभाव है. 6 नंबर प्लेटफार्म से दक्षिण की ओर फुट ओवर ब्रिज नहीं है. ऐसे में गुड़ाबांदा से पटनायकशोल तक लोगों को स्टेशन आने में काफी परेशानी होती है. उन्हें पटरी पर खड़ी गाड़ियों के नीचे से आना पड़ता है या चार किमी घूमकर आना पड़ता है. सांसद ने कई बार लोगों को आश्वासन दिया कि फुट ओवर ब्रिज का प्रस्ताव पारित हो चुका है. जल्द बन जायेगा, लेकिन आज तक नहीं बना.बुजुर्ग, दिव्यांग व बीमार यात्री होते हैं परेशान
स्टेशन में बुजुर्ग, दिव्यांग व मरीज को प्लेटफार्म तक आने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. न लिफ्ट लगी है, ना सब-वे का निर्माण हुआ है. यात्रियों को ट्रेन पकड़ने के लिए 6 नंबर प्लेटफार्म पर जाना पड़ता है, जबकि एक और दो नंबर प्लेटफार्म बनकर तैयार है. उस पर यात्री ट्रेनों को नहीं लगाया जाता है.रेलवे यार्ड से करोड़ों की कमाई, लेकिन सुविधाएं नहीं
खड़गपुर से टाटानगर के बीच धालभूमगढ़ में भी रेलवे यार्ड बना है. पहले ग्रेवल माइंस होने के कारण यहां से गिट्टियों के रैक देश के विभिन्न हिस्सों में जाते थे. स्लीपर फैक्ट्री होने के बाद रेल स्लीपर जाते थे. अब एफसीआइ का खाद्यान्न व आयरन ओर यार्ड में आता है. यहां से ट्रकों में लोड होता है. यार्ड से रेलवे को करोड़ों की कमाई होती है.रिजर्वेशन काउंटर नहीं
धालभूमगढ़ क्षेत्र में काफी संख्या में नौकरी पेशा व अन्य प्रांतों के लोग रहते हैं. ये एक्सप्रेस ट्रेनों से यात्रा के लिए रिजर्वेशन करना चाहते हैं. उन्हें यह सुविधा उपलब्ध नहीं है. अधिक राशि देकर ऑनलाइन या निजी कंप्यूटर ऑपरेटर से टिकट बनवाना पड़ता है.ओडिशा व बंगाल से भी आते हैं यात्री
पूर्व में दो एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव होता था. उस समय बारीपदा (ओडिशा) व बंगाल से लोग धालभूमगढ़ आकर ट्रेन पकड़ते थे. एनएच से 0 किमी की दूरी पर रेलवे स्टेशन होने के कारण लोगों को सुविधा होती थी. अब एक्सप्रेस ट्रेन का ठहराव बंद होने से परेशानी होती है.…क्या कहते हैं यात्री…
व्यवसाय के सिलसिले में अक्सर कोलकाता या जमशेदपुर जाना पड़ता है. स्टील, इस्पात या एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव नहीं होने से लोकल ट्रेनों का सहारा लेना पड़ता है. धालभूमगढ़ एक प्रमुख व्यावसायिक स्थल है.– मनोरंजन सिंह, नरसिंहगढ़
—————————-धालभूमगढ़ में एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव, अंडरपास व एफओबी के विस्तार के लिए कई बार रेल अधिकारियों को ज्ञापन दिये गये. सांसद से भी कहा गया. स्टेशन में पेयजल, पंखे, बिजली व शौचालय की स्थिति बदतर है.– नौशाद अहमद, समाजसेवी
—————————————-रेल प्रशासन धालभूमगढ़ स्टेशन से सौतेला व्यवहार कर रहा है. एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव बैद है. पुरुलिया लोकल भी लंबे अर्से से बंद है. दैनिक मजदूरी व टाटा जाकर पढ़ने वाले छात्रों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.– गुलशन शर्मा, धालभूमगढ़
————————————-नरसिंहगढ़ का रेल फाटक बड़ी समस्या है. इसी रास्ते से गुड़ाबांदा, मुसाबनी, डुमरिया के लिए लोग आवागमन करते हैं. फाटक बार-बार बंद होने से आम लोग व मरीज लेकर आने वाली एंबुलेंस भी फंसती है. फ्लाई ओवर बनना चाहिए.– नंदन सिंहदेव, समाजसेवी
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