धालभूमगढ़. नरसिंहगढ़ के अग्रसेन भवन में आयोजित भागवत कथा के दूसरे दिन शुक्रवार को कथावाचक परम पूज्य विजय गुरुजी महाराज ने शुकदेव जी का जन्म व परीक्षित जन्म का वर्णन किया. भागवत कथा को वेद रूपी विशाल कल्पतरु का फल बताया. उन्होंने कहा कि यहां जितने श्रोता बैठे हैं, वे ध्यान रखें कि आपके माध्यम से आपके पितर कथा सुनने आते हैं. भगवान जो दे रहे हैं, उसे प्रसाद समझकर प्रसन्न रहें. हमेशा सुपात्र बनने की कोशिश करें. आप सुपात्र बनेंगे, तो भगवान उसमें रस भरेंगे. जन भागीदारी से भागवत कथा का आयोजन करना चाहिए. भागवत कथा से युवा पीढ़ी को जोड़ें, अन्यथा आज समाज में युवाओं को वैचारिक दिशाहीन करने वाले लोग भी विचरण कर रहे हैं. युवा पीढ़ी में असीम शक्ति होती है. इन्हीं से भारत विश्व गुरु बनेगा. माता-पिता अपने संस्कार अच्छा रखें, तभी बच्चों में संस्कार आते हैं. उन्होंने कहा कि भागवत कथा मृत्यु के भय को दूर करती है. भगवान ने हमें परिवार रूपी बगीचे का माली बनाकर भेजा है. जीवन का मूल उद्देश्य परमात्मा को पाना है. भगवान बाहर नहीं आपके अंदर विराजमान हैं. जिसमें भक्ति वास करती है, वह संसार का सबसे धनवान व्यक्ति है. मनुष्य के हर कर्म के पीछे भगवान की इच्छा होती है, इसलिए प्रभु के साथ संबंध रखना जरूरी है. कथा शुरू होने के पूर्व यजमान सुनील उषा अग्रवाल ने भागवत का पूजन किया. कथा के समापन पर आरती व प्रसाद का वितरण किया गया. भागवत कथा सुनने दूर दराज से श्रद्धालु उपस्थित थे.
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