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East Singhbhum News : प्रदूषित पानी से 150 एकड़ में धान की फसल झुलसी, 39 किसानों की मेहनत हुई बर्बाद

गालूडीह के उलदा में स्लैग डंपिंग यार्ड का पौंड भरने से प्रदूषित पानी उलदा के आस-पास के धान खेतों में घुस गया, जिससे करीब 150 एकड़ में लगी धान की फसल झुलस कर बर्बाद हो गयी.

गालूडीह.

गालूडीह के उलदा में स्लैग डंपिंग यार्ड का पौंड भरने से प्रदूषित पानी उलदा के आस-पास के धान खेतों में घुस गया, जिससे करीब 150 एकड़ में लगी धान की फसल झुलस कर बर्बाद हो गयी. इससे किसान हताश और चिंता में डूब गये हैं. 150 एकड़ में उलदा के ही करीब 39 किसान शामिल हैं. जो इस बार खरीफ में अच्छी बारिश होने पर धान की खेती की है. किसानों ने कहा कि मेहनत और पूंजी दोनों एक साथ बर्बाद हो गयी. किसानों ने संयुक्त रूप से एक शिकायत पत्र टाटा पिगमेंट कंपनी को सौंपा है. किसानों ने जांच कर उचित मुआवजा देने की मांग की है.

किसानों ने में पत्र कहा कि उलदा गांव के पास ही कंपनी की ओर से स्लैग डंपिंग करायी जाती है. इसके लिए कंपनी ने बड़ा पौंड तो बनाया है. पर बरसात में पौंड भरकर ओवरफ्लो होने से प्रदूषित पानी खेतों में चला गया. इससे 150 एकड़ में 39 किसानों की फसल बर्बाद हो गयी. इस पानी के खेतों में एकत्रित होने से भूमि की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो रही है. दोबारा उक्त जमीन में खेती भी संभव नहीं होगी.

प्रभावित किसान

प्रभावित किसानों में उलदा के रघुनाथ टुडू, कार्तिक टुडू, शंकर सिंह, वीरेन सिंह, इंद्रजीत सिंह, भरत सिंह, छूटू सिंह, घासीराम सिंह, कोकिल सिंह, मालती सिंह, हाड़ीराम सिंह, गौर मोहन सिंह, नारायण सिंह, सुमित्रा सिंह, केदार सिंह, समीर वरण दास, चित्त दास, उपेंद्र सिंह, विपिन सिंह, नरेश सिंह, रसना सिंह, वृंदावन सिंह, विष्णुपद सिंह, लालमोहन सिंह, लक्ष्मण सिंह, सुधीर सिंह, सुनील सिंह, जयंत सिंह, कौशल्या सिंह, महेश्वर सिंह, लक्ष्मण सिंह, भगीरथ सिंह, जगदीश सिंह, अश्विनी सिंह, मनोहर सिंह, कुंती दास, कुल देवी, मुन्ना अग्रवाल, रोहणी सिंह आदि शामिल हैं.

बारिश थमने पर गालूडीह बराज के 14 गेट हुए बंद

गालूडीह. बारिश थमने के बाद बुधवार को गालूडीह बराज के 18 में से 14 गेट बंद कर दिए गये हैं. इससे नदी की पूर्व दिशा में पानी जा रहा है. 14 गेट बंद करने से डैम में पानी का लेवल 92 मीटर आरएल पहुंच गया है. हालांकि, जब लगातार बारिश हो रही थी, तब डैम के 13 गेट चार दिनों तक खुले थे. अब 4 गेट खुले हैं. परियोजना पदाधिकारियों ने कहा कि बढ़ते जल स्तर को देखते हुए गेट बंद और खोले जाते हैं. फिर जल स्तर बढ़ा, तो गेट खोलने की संख्या बढ़ेगी.

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