जादूगोड़ा. सात दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के चौथे दिन हरिद्वार से आए स्वामी हंसानंद गिरि महाराज ने शिव पार्वती विवाह के प्रसंग को सुनाया. सुंदर भजन सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो गए. शिव पार्वती विवाह की झांकी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा. सभी श्रद्धालु भजन कीर्तन पर झूमने को मजबूर हो गये. शिव पार्वती विवाह प्रसंग में महाराज ने बताया कि जब शिव और पार्वती का विवाह होने वाला था, तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई. शिव का विवाह बहुत भव्य और विचित्र था. ऐसी शादी कभी नहीं हुई. शिव दुनिया के सबसे तेजस्वी देव हैं. शिव और पार्वती एक दूसरे को अपने जीवन का हिस्सा बनाने वाले थे. सभी देवता विराजमान थे. साथ ही असुर, भूत, प्रेत, पिशाच, सभी बाराती बनकर पहुंचे थे. बताया कि जहां देवता जाते थे, वहां असुर जाने से मना कर देते थे और जहां असुर जाये वहां देवता नहीं जाते थे. शिव पशुपति हैं सभी जीवों के देवता भी हैं. इसलिए सारे जानवर, कीड़े मकोड़े और सारे जीव जंतु विवाह में शामिल हुए. यहां तक भूत पिशाच और विक्षिप्त लोग भी उनके विवाह में मेहमान बनकर पहुंचे थे. उनकी आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी, फिर भी यह तो शिव का विवाह था. इसलिए उन्होंने सारे झगड़े भुलाकर एक बार एक साथ आने का मन बनाया. सभी लोगों ने बड़ी एकाग्रता से कथा सुनी. अंत में प्रसाद का वितरण किया गया. बता दें कि श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति की और से यह सातवां आयोजन है. इस बार श्री शिव महापुराण की कथा है. कथा सुनने के लिए 10 गांव के लोग मौजूद थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है