हाता. श्री श्री योगेश्वरी आनंदमयी सेवा प्रतिष्ठान माताजी आश्रम हाता द्वारा चलाये जा रहे आठ द्विवसीय रामकृष्ण कथामृत उत्सव में दूसरे दिन मंगलवार को जामबनी गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यहां पल्ली मंगल समिति की देखरेख में कार्यक्रम का शुभारंभ पुरोहित नित्यानंद गोस्वामी द्वारा किया गया. मौके पर सुनील कुमार दे ने आयोजन की विशेषता और रामकृष्ण कथामृत की प्रासंगिकता पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि श्रीश्री रामकृष्ण कथामृत श्री रामकृष्ण के शब्दों को महेंद्र नाथ गुप्त द्वारा रचित पांच खंडों वाली बंगाली रचना है, जो 19वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी रामकृष्ण के वार्तालापों और गतिविधियों का वर्णन करती है. यह खंड 1902, 1904, 1908, 1910 और 1932 में लगातार प्रकाशित हुए. कथामृत को एक बंगाली क्लासिक माना जाता है. रामकृष्ण के अनुयायियों के बीच एक पवित्र ग्रंथ के रूप में पूजनीय है. इसका अंग्रेजी में संशोधित अनुवाद द गॉस्पेल ऑफ़ श्री रामकृष्ण (1942) शीर्षक से है. उन्होंने कहा कि भगवान रामकृष्ण देव धार्मिक एकता का प्रतीक है. उन्होंने सभी धर्मों को सत्य माना है और सम्मान किया है. लक्ष्य सबका एक है. इसलिए धर्म और ईश्वर के नाम पर लड़ाई झगड़ा करना मूर्खता है. यहां कमलाकांती घोष (बादल मामा), तड़ित मंडल, रेवा गोस्वामी, भास्कर चंद्र दे, शैलेन्द्र महतो, माताजी आश्रम के भक्त महिलाओ ने भक्ती गीत-संगीत से सबका मन मोह लिया. इस अवसर पर आनंद राम महतो, विभीषण महतो, कृष्ण पद मंडल ने अपने अपने विचार रखें. मौके पर सनातन महतो, राजकुमार साहू, बलराम गोप, हिरण महतो, स्वपन कुमार मंडल आदि उपस्थित थे.
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