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Decarbonization Mission India: भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च – सीएसआइआर) काम कर रहे हैं. 5 अहम जरूरतें- खाना, पानी, स्वास्थ्य, परिवहन और रोजगार पर अहम कदम उठाये जा रहे हैं. यह जानकारी सीएसआइआर की महानिदेशक (डायरेक्टर जेनरल) डॉ एन कलैसेल्वी ने दी. डॉ एन कलैसेल्वी डीएसआइआर की सचिव भी हैं. उन्होंने जमशेदपुर में पत्रकारों से कहा कि सिकल सेल एनीमिया की स्क्रीनिंग के लिए डायग्नॉस्टिक किट विकसित हो चका है. 25 लाख मरीजों पर ब्लड के एक से टेस्टिंग की जा चुकी है.
विदेशों में सिकल सेल एनीमिया के इलाज पर खर्च 25 करोड़, भारत में 1 करोड़
उन्होंने कहा कि सिकल सेल एनीमिया के उपचार की दवा भी बनायी गयी है, जो हाइड्रोक्साइड पर आधारित है. इससे बच्चों का भी इलाज किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 15 नवंबर को सिकल सेल रोग के लिए भारत की पहली स्वदेशी सीआरआइएसपीआर आधारित जीन थेरेपी शुरू कर दी गयी है. उन्होंने बताया कि सीएसआइआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आइजीआइबी) ने उपचार लागत को काफी कम कर दिया है. विदेशों में 20 से 25 करोड़ रुपए उपचार पर खर्च होते हैं. भारत में अब यह एक करोड़ रुपए में संभव है. कोशिश है कि 50 लाख और फिर 25 लाख रुपए की लागत में इसका इलाज भारत में किया जा सके.
Decarbonization Mission India: पैरासिटामोल का प्रोडक्शन करने वाला नंबर-2 देश बन जायेगा भारत
सीएसआइआर की महानिदेशक ने बताया कि दुनिया में पैरासिटामोल का प्रोडक्शन कई जगहों पर होता है. भारत में इसकी खपत काफी ज्यादा है. भारत में 37 हजार टन पैरासिटामोल की खपत होती है. इसके लिए भारत में ही तकनीक विकसित की गयी है. कर्नाटक की कंपनी सत्य दीप्था फार्मास्यूटिकल लिमिटेड काम कर रही है. इसके बाद स्वदेशी पैरासिटामोल मिलने लगेगा और हम इसका उत्पादन करने वाले दुनिया का दूसरा देश बन जायेंगे.
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कार्बन उत्सर्जन पर ड्यूटी लगेगी – डॉ एन कलैसेल्वी
सीएसआइआर की महानिदेशक डॉ एन कलैसेल्वी ने बताया कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत सरकार नयी नीति लाने वाली है. कार्बन उत्सर्जन पर अलग से ड्यूटी और टैक्स भी लगाने पर विचार हो रहा है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार नेशनल सीसीयूएस मिशन यानी कार्बन कैप्टर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज मिशन लांच कर रही है, ताकि भारत में कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके. यहां का पर्यावरण बेहतर बने. कैबिनेट को इसका प्रस्ताव भेजा गया है.

हवा में ही कार्बन कैप्चर करने और री-यूज करने की है योजना
इसके तहत प्लान किया गया है कि कार्बन को पहले हवा या इंडस्ट्रियल वेस्ट से ही कैप्चर कर लिया जाये. इसके बाद इसका स्टोरेज हो और इसका फिर से इस्तेमाल हो सके. इस दिशा में काम चल रहा है. रेयर मेटल को लेकर भी भारत सरकार एनएमएल जैसी संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है. इसमें सफलता भी मिल रही है.
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