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East Singhbhum News :खिड़की-दरवाजा विहीन जर्जर आवासों में जमीन पर पतली चादर और फंटे कंबल के सहारे कट रहीं सर्द रातें

घाटशिला. प्रभात खबर ने रात नौ से 10 के बीच बस्तियों में जाकर देखी सबरों की स्थिति

गालूडीह.

घाटशिला अनुमंडल में बीते एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड पड़ रही है. ऐसे में सुदूरवर्ती क्षेत्र के जनजातीय परिवार खासकर सबर व बिरहोर परिवार किसी तरह रात काट रहे हैं. शनिवार की रात प्रभात खबर ने 9:00 से 10:00 बजे के बीच दारीसाई और घुटिया सबर बस्तियों में वास्तविक स्थिति देखी. कई परिवार बिना खिड़की-दरवाजे के जर्जर आवास में जमीन पर सोया दिखे. कोई पतली चादर, तो कोई फटे कंबल के सहारे ठिठुरते हुए किसी तरह ठंड से लड़ रहा था. कांपती हुई एक सबर महिला अपने बच्चे को गोद में लेकर घर के चूल्हे में लकड़ी जलाकर आग ताप रही थी. बस्ती के अधिकतर बिरसा आवास जर्जर हैं. इनमें ढिबरी की टिमटिमाती रोशनी थी. कई घरों में अधंकार था. अधिकतर बिरसा और इंदिरा आवासों में खिड़की-दरवाजे नहीं थे. कई सबरों ने सर्द हवा से बचने के लिए दरवाजे पर फटे-चिटे कंबल टांग दिये हैं.

पेट से घुटना सटाकर काट रहे सर्द रात

दारीसाई में बुद्धेश्वर सबर और उसकी पत्नी निशोदा सबर जमीन पर सो रहे थे. एक पतला चादर और कंबल बिछा था. ऊपर से निशोदा पतला चादर ओढ़े थी. बुद्धेश्वर पतला सा कंबल ओढ़ ठिठुर रहा था. कमोबेश ऐसी हालत अन्य सबरों के आवास में रहा. कई बच्चे व बुजुर्ग पेट से ठेहुना (घुटना) सटाकर सिकुड़कर सोते मिले. ठंड से सबर जनजाति के लोग ठिठुर रहे हैं. लगातार बढ़ती ठंड ने सबरों की परेशानी बढ़ा दी है.

बीमार पति-पत्नी जमीन पर सोने को विवश

दारीसाई और घुटिया के कई सबर बीमार हैं. दारीसाई के बुद्धेश्वर सबर और उनकी पत्नी बीमार है. सुकुरमनी सबर कई महीनों से बीमार है. इस हाल में जमीन पर सो रही है. इससे बीमारी और बढ़ रही है. दोनों का गुजारा किसी तरह पेंशन की राशि से हो रहा है.

शरीर पर पर्याप्त वस्त्र व गर्म कपड़े नहीं, अलाव से बच रही जान

वर्षों पूर्व बने बिरसा आवास जर्जर हो गये हैं. ऐसे में सबर जान जोखिम में डाल कर रहने को विवश हैं. कड़ाके की ठंड से जीना दूभर हो गया है. ऊपर से पर्याप्त गर्म कपड़े व कंबल नहीं होने के कारण कई सबर आग ताप कर रात काटने को विवश हैं. अलाव के सहारे जान बच रही है.

अबतक नहीं मिला सरकारी कंबल, कठिन हुई ठंड से जंग

बस्ती के सबर सर्द रातें करवटें बदल कर, तो दिन में अलाव के सहारे जी रहे हैं. दो दिनों से धूप नहीं निकलने से उनकी मुश्किलें बढ़ गयी हैं. दारीसाई में सोमवार की सुबह सबर बच्चे जंगल से लायीं लकड़ियां जलाकर ठंड से बचने के प्रयास में जुटे थे. अधिकतर बच्चों के तन पर पर्याप्त वस्त्र तक नहीं हैं. घाटशिला प्रखंड में कंबल का खेप पहुंचा है, पर अब तक सबरों के बीच नहीं बंटा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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