गालूडीह. गालूडीह के प्राचीन रंकिणी मंदिर के मुख्य पुजारी सह संन्यासी विनय दास बाबाजी 30 नवंबर 2025 को 110 वर्ष के हो गये. भक्तों ने गुरु वंदना के साथ बाबाजी का 110वां जन्मदिन समारोह पूर्वक मनाया. सुबह में मंदिर से बाबाजी की तस्वीर के साथ प्रभातफेरी निकाली गयी. जो गालूडीह बाजार क्षेत्र का भ्रमण के बाद मंदिर में समाप्त हुई. अमृतवाणी, सत्संग व भक्तों ने पूजा-अर्चना के साथ बाबाजी की उम्र अनुरूप 110 नारियल, 110 केला, 110 पेड़ा, 110 सेव, 110 मिठाई का महाभोग चढ़ाया गया. बाबाजी के जन्मदिन पर विधायक सोमेश सोरेन भी समर्थकों के साथ दोपहर में मंदिर पहुंचे. बाबाजी से आशीर्वाद लिया. बाबाजी को सम्मानित किया. मंदिर में 1501 दीप जलाये गये. भक्तों ने वस्त्र देकर बाबा को सम्मानित किया. कई भक्तों ने बाबा से दीक्षा ग्रहण किया. गुरु पुष्पांजलि में भीड़ उमड़ी.
बाबाजी से पुष्पाजंलि व दीक्षा लेने के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़
विनय दास बाबा ने गालूडीह प्राचीन रंकिनी मंदिर को 1951 में पुर्नस्थापित किया था. बाबाजी पूरी जिंदगी दो गमछे में गुजार दी. एक गमछा ओढ़ते हैं और एक पहनते हैं. पांव में लकड़ी का खड़ाऊं होता है. सादा भोजन और सादा जीवन उनकी पहचान है. बाबाजी मूल रूप से बांग्लादेश के श्रीहट जिले के हैं. उपनयन के वक्त उन्होंने घर छोड़ दिया था. वहां से पश्चिम बंगाल के बांकुड़ा आये थे. वहां से गालूडीह आये थे. तब वे युवा थे. आज 110 साल के हो गये हैं. अंग्रेज शासक ने मंदिर में ताला जड़ दिया था. बाबा प्रतिदिन क्षेत्र के 11 परिवारों से भिक्षा मांगकर गुजारा किया करते थे. ग्रामीणों ने उन्हें मंदिर बंद होने की जानकारी दी, तो वर्ष 1951 में ग्रामीणों के सहयोग से पुनः मां रंकिणी मंदिर की स्थापना की.भजन-कीर्तन के साथ भंडारा का आयोजन
बाबाजी के जन्मदिन पर भजन-कीर्तन के साथ भंडारा का आयोजन हुआ. दिनभर भजन कीर्तन चलते रहा. हजारों श्रद्धालुओं ने खिचड़ी महाप्रसाद ग्रहण किया. मौके पर कालीपद गोराई, जगदीश भकत, श्रवण अग्रवाल, सुखदेव दास, संजय मुखर्जी, निर्मल चंद्र सिंह, बबलु महतो, पूर्णचंद्र कर्मकार, सहदेव महतो, जयदेव दास, बिष्णु महतो, नीरद महतो, श्यामसुंदर दत्ता, सुष्मिता दास, गोपीनाथ सीट, बड़बूढ़ी दत्ता आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

