Airport Protest: धालभूमगढ़(पूर्वी सिंहभूम)-धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट निर्माण के विरोध में बुधवार को 12 मौजा के ग्राम प्रधान और ग्रामीणों की काला पत्थर देव स्थल के निकट बैठक की. इसकी अध्यक्षता देवशोल के ग्राम प्रधान दाखिन हांसदा ने की. मुख्य अतिथि पद्मश्री जमुना टुडू व देश विचार सचिव बहादुर सोरेन उपस्थित रहे. यहां ग्रामीण व ग्राम प्रधानों ने एयरपोर्ट के विरोध में आवाज बुलंद किया. वहीं, देवशोल के ग्राम प्रधान से एसडीओ द्वारा स्पष्टीकरण मांगने व पदच्युत करने की नोटिस पर विरोध जताते हुए नाराजगी जतायी.
जल, जंगल, जमीन पर ग्रामीणों का अधिकार
बैठक में पद्मश्री जमुना टुडू ने कहा कि जल, जंगल, जमीन पर ग्रामीणों का अधिकार है. आज पहाड़, जल, जंगल, जमीन पर संकट है. सरकार इन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है. गांव की समस्या का समाधान ग्राम सभा से ही होगा. ग्रामसभा ही सर्वोपरि है. विकास विरोधी नहीं है. एयरपोर्ट जरूर बने, पर जंगल उजाड़ कर और पेड़ काटकर विकास नहीं चाहिए. जहां खाली मैदान है, वहां एयरपोर्ट का निर्माण हो.
सांसद- विधायक का ग्रामीणों की समस्या पर ध्यान नहीं
जमुना टुडू ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाया है. पेड़ बचाने के लिए मैंने (जमुना टुडू) यातनाएं सही हैं. मुझपर जानलेवा हमला हुआ है. पेड़ों की सुरक्षा के लिए 30 वर्षों से लगातार अभियान चला रही हैं. जंगल से ग्रामीणों को रोजगार मिलता है. चुनाव के समय नेता गांव के लोगों को हड़िया दारु पिलाकर वोट लेकर चले जाते हैं. यहां के सांसद- विधायक कभी ग्रामीणों के साथ बैठक कर उनकी समस्याएं नहीं सुनते हैं. आदिवासी पेड़ को भगवान मानते हैं, अगर पेड़ नष्ट होंगे तो वे उसका विरोध करेंगी. जंगल का विनाश कर विकास नहीं किया जा सकता.
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कालापाथर में होगा विश्व पर्यावरण दिवस समारोह
पद्मश्री जमुना टुडू ने ग्रामीणों से कहा कि 6 जून को कालापाथर देव स्थल के निकट विश्व पर्यावरण दिवस समारोह का आयोजन करेंगी. इसमें जाने-माने पर्यावरणविद, समाजसेवी व समाज के प्रमुख लोग शामिल होंगे.
आदिवासी समाज ठगा महसूस कर रहा : बहादुर सोरेन
देश विचार सचिव बहादुर सोरेन ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में जल, जंगल, जमीन पर ग्रामीणों का अधिकार है. पारंपरिक ग्राम प्रधान को हटाने का अधिकार मुख्यमंत्री तक को नहीं है. एसडीओ ने उन्हें किस आधार पर नोटिस दी. वन अधिकार अधिनियम के तहत ग्रामीणों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वन पट्टा नहीं दिया जा रहा है. आदिवासियों के लिए बने पेसा कानून को अमल में नहीं लाया जा रहा है. खुद को माटी की पार्टी का नेता कहने वाले कहां हैं. शिक्षा व्यवस्था आज भी कमजोर है. आदिवासी समाज ठगा महसूस कर रहा है. जिस अंग्रेजी कानून और शासन के खिलाफ हमारे पूर्वजों ने कुर्बानी दी, आज वही अंग्रेजी शासन आदिवासियों पर चलाने की कोशिश की जा रही है, जिसका पुरजोर विरोध किया जायेगा.
बैठक में उपस्थित कई गांवों के ग्राम प्रधान एवं ग्रामीण
बैठक में देवशोल के ग्राम प्रधान दाखिन हांसदा, रुआशोल के लखन हेंब्रम, राजाबेड़ा के सिदो बेसरा, चारचक्का के परानिक सुनील हांसदा, बिहिंदा के ग्राम प्रधान सुनाराम मांडी, समका के पोगो मुर्मू, पहाड़पुर के शिखर सोरेन, दूधपूसी के कड़िया सोरेन के अलावे कुनाराम टुडू, सांखो हांसदा, दशरथ हंसदा, जितेंद्र नाथ मांडी, नायके हाड़ीराम मुंडा, शिबू मांडी, रामदु मांडी, शंकर सोरेन, ठाकुर मुर्मू, रामचंद्र हेंब्रम, फागू मांडी, सुगदा मांडी, सालगे सोरेन, देवला मांडी, मानकी मांडी, पानमनी सोरेन सहित ग्रामीण उपस्थित थे.
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