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सबरों की भूमि पर दबंगों का कब्जा
हलुदबनी में 20 एकड़ बंदोबस्त भूमि पर लगे पेड़ को भी बेच डाला गालूडीह : घाटशिला प्रखंड के हलुदबनी में विलुप्त होती आदिम जनजाति के 40 सबर परिवारों को खेती करने के लिए सरकार से बंदोबस्ती में मिली 20 एकड़ भूमि पर दबंगों द्वारा 20 साल से कब्जा कर खेती करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश […]
हलुदबनी में 20 एकड़ बंदोबस्त भूमि पर लगे पेड़ को भी बेच डाला
गालूडीह : घाटशिला प्रखंड के हलुदबनी में विलुप्त होती आदिम जनजाति के 40 सबर परिवारों को खेती करने के लिए सरकार से बंदोबस्ती में मिली 20 एकड़ भूमि पर दबंगों द्वारा 20 साल से कब्जा कर खेती करने का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है. दबंगों ने उक्त जमीन पर लगे वृक्षों को भी बेच डाला है.
खेती करने से वंचित सबर परिवार अब जंगल के भरोसे अपनी जीविका चला रहे हैं. सभी सबरों के पास सरकार द्वारा दिया गया भूमि का परचा है. सबरों ने कई बार अपनी भूमि पर खेती करने की कोशिश की, मगर दबंगों ने डरा-धमका कर उन्हें खदेड़ दिया. प्रशासन ने सबरों को अपनी जमीन पर दखल दिलाने का कभी प्रयास नहीं किया. सूत्रों के मुताबिक अन्य कई गांवों में भी सबरों की बंदोबस्त भूमि पर दबंगों ने कब्जा कर रखा है.
1996-97 में मिली थी बंदोबस्ती : यहां के 40 सबर परिवार को सरकार द्वारा 1996-97 में प्रति परिवार आवास के लिए तीन डिसमिल तथा खेती करने के लिए 50 डिसमिल भूमि बंदोबस्ती में दी गयी थी. आवास के लिए मिली जमीन पर सबरों का कब्जा है. आवास भी बना, परंतु खेती के लिए मिली 20 एकड़ जमीन पर सबरों का कब्जा नहीं है. दबंग किस्म के लोगों ने जमीन पर कब्जा जमाये रखा. उक्त जमीन गांव से सटे सुखना पहाड़ की तलहटी में है.
पुइतू सबर ने खोला राज
इस बस्ती के वृद्ध पुइतू सबर ने राजस्व विभाग भूमि सुधार कार्यालय द्वारा 1996-97 में मिले भूमि बंदोबस्ती का परचा दिखाया. परचा के मुताबिक खाता संख्या 153, प्लॉट संख्या 95/1166/3, रकवा 0.50 डिसमिल जमीन खेती के लिए और तीन डिसमिल जमीन आवास के लिए मिली थी, परंतु आज तक कृषि योग्य जमीन पर कब्जा नहीं मिला.
उन्होंने बताया कि गांव के 40 सबर परिवार को बंदोबस्त में खेती के लिए भूमि मिली थी. कब्जा की कोशिश की, मगर खदेड़ दिया: पुइतू ने बताया कि कृषि योग्य भूमि पर कई बार कब्जा की कोशिश की, परंतु दबंगों ने खदेड़ दिया. एक बार भूमि जोतने गये थे.
दबंगों ने अपनी जमीन बता कर डरा-धमका कर खदेड़ दिया. हम गरीब हैं. झगड़ा करने और केस लड़ने के लिए क्षमता नहीं है.
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