गुड़ाबांदा : प्रखंड गठन के नौ साल बाद भी ओड़िशा की सीमा से सटा नक्सल मुक्त गुड़ाबांदा प्रखंड सिर्फ एक बीडीओ के भरोसे चल रहा है. कई करोड़ की लागत से बने प्रखंड सह अंचल भवन और पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों के रहने के लिए आलीशान भवन बने हुए हैं, मगर बीडीओ, सीओ छोड़ कर प्रखंड के अन्य प्रमुख पदाधिकारियों के पद सृजित ही नहीं किये गये. ऐसे में यहां की आधी जनता धालभूमगढ़ और आधी बहरागोड़ा के प्रभारी पदाधिकारियों के भरोसे है. ऐसे में इस प्रखंड का विकास सवालों के घेरे में है.
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एकमात्र बीडीओ के भरोसे है गुड़ाबांदा प्रखंड
गुड़ाबांदा : प्रखंड गठन के नौ साल बाद भी ओड़िशा की सीमा से सटा नक्सल मुक्त गुड़ाबांदा प्रखंड सिर्फ एक बीडीओ के भरोसे चल रहा है. कई करोड़ की लागत से बने प्रखंड सह अंचल भवन और पदाधिकारियों तथा कर्मचारियों के रहने के लिए आलीशान भवन बने हुए हैं, मगर बीडीओ, सीओ छोड़ कर प्रखंड […]
इस प्रखंड में बीडीओ हारुन रसीद पदस्थापित हैं. वही अंचलाधिकारी के प्रभार में भी हैं. प्रखंड में कृषि पदाधिकारी, एलइओ, बीपीआरओ के पद सृजित हैं. मगर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी समेत अन्य कई प्रमुख पदाधिकारियों के पद सृजित ही नहीं किये गये हैं. इस प्रखंड की चार पंचायतें बहरागोड़ा विस क्षेत्र में तथा चार घाटशिला विस क्षेत्र में पड़ती हैं. लिहाजा चार पंचायतों के लिए बहरागोड़ा के तथा चार के लिए धालभूमगढ़ के पदाधिकारी प्रभार में हैं.
ऐसे पदाधिकारी यदा-कदा ही यहां आते हैं. विभिन्न कायों के लिए आम लोगों को बहरागोड़ा और धालभूमगढ़ प्रखंड कार्यालय जाना पड़ता है. प्रखंड में पदाधिकारियों के पद सृजन के मसले में विधायक कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि इसके लिए वे दो बार विधान सभा में सवाल उठा चुके हैं. मगर सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि आगामी विस सत्र में मुख्यमंत्री प्रश्नकाल में इस मामले को उठाएंगे.
अधिकांश पदाधिकारियों के पद सृजित ही नहीं हुए
बीडीओ को ही दिया गया है सीओ का प्रभार
प्रखंड गठन के नौ साल बाद भी बीसीओ, सीडीपीओ, बीइइओ समेत अन्य कई पद सृजित नहीं
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