धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का उपायुक्त अमित कुमार ने किया निरीक्षण, कहा
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7 दिन में सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे
धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का उपायुक्त अमित कुमार ने किया निरीक्षण, कहा धालभूमगढ़ : धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का बुधवार को उपायुक्त अमित कुमार ने निरीक्षण किया. ब्रिटिश परित्यक्त हवाई पट्टी को विश्वस्तरीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा केंद्रीय उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने की है. उपायुक्त ने निरीक्षण के बाद कहा कि हवाई पट्टी की रिपोर्ट सरकार […]
धालभूमगढ़ : धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का बुधवार को उपायुक्त अमित कुमार ने निरीक्षण किया. ब्रिटिश परित्यक्त हवाई पट्टी को विश्वस्तरीय एयरपोर्ट बनाने की घोषणा केंद्रीय उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने की है. उपायुक्त ने निरीक्षण के बाद कहा कि हवाई पट्टी की रिपोर्ट सरकार को एक सप्ताह में भेजी जायेगी. राज्य सरकार हवाई पट्टी से संबंधित सकारात्मक पक्ष की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी. उपायुक्त ने सीओ हरीश चंद्र मुंडा से पुरानी हवाई पट्टी की जानकारी ली. पुरानी हवाई पट्टी का नक्शा देखा.
निरीक्षण के दौरान एसएसपी अनूप टी मैथ्यू, एसडीओ सुशांत गौरव समेत पुलिस पदाधिकारी उपस्थित थे. उपायुक्त ने घाटशिला एसडीओ को अंचल व वन विभाग की टीम बनाकर सर्वे कर जमीन संबंधी रिपोर्ट भेजने का निर्देश दिया. यह रिपोर्ट एक सप्ताह के अंदर राज्य सरकार को भेजी जायेगी.
द्वितीय विश्व युद्ध के समय बना था:धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का निर्माण द्वितीय विश्व युद्ध के समय (1939-1945) साल जंगल के बीच तत्कालीन इस्ट इंडिया कंपनी ने कराया था. इसमें करीब चार किलोमीटर के दो रनवे और करीब दो किलोमीटर में हवाई अड्डा फैला था. जहाज रखने के हैंगर, बिंततु भवन की व्यवस्था थी. इसका अवशेष आज भी है. उस समय चूना और सुरकी से हवाई पट्टी का निर्माण किया गया था.1971 में अंतिम बार उपयोग हुई हवाई पट्टी:
धालभूमगढ़ हवाई पट्टी का अंतिम बार रक्षा विभाग ने 1971 में उपयोग किया था. भारत-बांग्लादेश युद्ध के समय हवाई पट्टी, विभिन्न प्रकार के युद्ध टैंकर, मिसाइल मार करने वाली मशीन आदि रखी गयी थी. 449 एकड़ में फैली है हवाई पट्टी:सर्वे सेटेलमेंट में हवाई पट्टी दर्शायी नहीं गयी है, लेकिन भौतिक रूप से हवाई पट्टी लगभग 449 एकड़ में है. यह आरएफ वन भूमि देवशोल के 342 एकड़, कोकपाड़ा-नरसिंहगढ़ में 43 एकड़, बुरूडीह में 10 एकड़, चारचक्का में 12 एकड़ कुल 407 एकड़ में फैला है.
इसके साथ ही हवाई पट्टी के लिए चिन्हित भूमि पर अनावाद झारखंड सरकार, लोक निर्माण विभाग और रैयत भूमि है.मापी से बढ़ सकती है भूमि:वन पर्यावरण वजलवायु परिवर्तन विभाग अंचल अमीन की मापी से भूमि बढ़ सकती है. हवाई पट्टी में कालापाथर पहाड़ 12 मौजा में फैला है. 12 मौजा के लोगों की आस्था और विश्वास का प्रतीक कालापाथर पहाड़ दोनों रनवे और हवाई पट्टी के बीच है. परंपरा के मुताबिक बांग्ला आषाढ़ माह के चौथे मंगलवार को कालापाथर पहाड़ की पूजा की जाती है.
12 मौजा के लोग पूजा करते हैं. विद्युत वरण महतो ने सांसद बनने के बाद से एयर पोर्ट निर्माण के लिए पहल शुरू की थी. इसके लिए मुख्यमंत्री, केंद्रीय उड्डयन मंत्री, एएआइ के पदाधिकारी के साथ कई बार चर्चा की. एएआइ पदाधिकारियों के भौतिक निरीक्षण, मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद एयरपोर्ट निर्माण के लिए धालभूमगढ़ को उपयुक्त माना. एनएच 33 से शून्य किलोमीटर पर यह अवस्थित है. रेलवे से भी दूरी एक किलोमीटर से कम है. सड़क सही रहे, तो 40 मिनट में जमशेदपुर से आवागमन किया जा सकता है.कई राज्यों को मिलेगा लाभ:
धालभूमगढ़ में विश्व स्तर का हवाई अड्डा निर्माण होने से झारखंड के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला- खरसावां, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बाकुंड़ा, झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनूपुर, ओड़िशा के मयूरभंज, क्योंझर, बालासोर जिले के लोगों को लाभ मिलेगा.
एसडीओ को अंचल व वन विभाग की टीम बनाकर रिपोर्ट बनाने का आदेश
हवाई पट्टी पर 30 मिनट पैदल चले पदाधिकारी
पुरानी हवाई पट्टी के रनवे पर उपायुक्त व अन्य पदाधिकारी करीब आधा घंटा तक कड़कती धूप में पैदल चले. इसके बाद मुख्य हवाई पट्टी व दूसरे रनवे का निरीक्षण किया. दूसरी रनवे का निरीक्षण वाहन से किया गया. करीब 45 मिनट तक डीसी ने रनवे का भौतिक निरीक्षण किया.
19 अप्रैल को एएआइ ने किया था निरीक्षण
एयरपोर्ट ऑथोरिटी ऑफ इंडिया के डीजीएम सुदेश शर्मा और अन्य पदाधिकारियों ने सांसद विद्युत वरण महतो के साथ धालभूमगढ़ और चाकुलिया के पुराने एयरपोर्ट का निरीक्षण किया था. इसके बाद केंद्रीय उड्डयन मंत्री जयंत सिन्हा ने धालभूमगढ़ में विश्व स्तरीय एयर पोर्ट निर्माण की घोषणा तीन जून को जमशेदपुर में की.
पुरानी हवाई पट्टी नक्शा और खतियान में दर्ज नहीं
सर्वे सेटलमेंट 1964 के खतियान में हवाई अड्डा दर्ज नहीं है. नक्शा में हवाई पट्टी नहीं दर्शायी गयी है. सीओ हरीश चंद्र मुंडा ने बताया कि हवाई पट्टी सर्वे सेटलमेंट में आरएफ के नाम से दर्ज है.
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