21.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

केंद्रीय ट्रेड यूनियन के संयुक्त मोर्चा ने प्रदर्शन कर रखी अपनी मांगें

उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम 17 सूत्री मांगपत्र सौंपा. कहा कि लागत के साथ 50 प्रतिशत की दर पर खरीद की गारंटी के साथ एमएसपी के लिए तुरंत एक कानून बनाया जाये.

दुमका नगर. संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम के तहत बुधवार को प्रदर्शन का आयोजन किया गया. प्रदर्शन के पश्चात अपनी 17 सूत्री मांगपत्र उपायुक्त के माध्यम से प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया. किसान सभा के संयुक्त सचिव एहतेशाम अहमद ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर जो ऐतिहासिक किसान संघर्ष की शुरुआत हुई थी, इन्हें संयुक्त ट्रेड यूनियनों का सक्रिय समर्थन भी प्राप्त था. 26 नवंबर को इस संघर्ष के पांच वर्ष पूरे होने जा रहे हैं. 736 शहीदों के बलिदान और 380 दिनों के लंबे संघर्ष ने तीनों कॉरपोरेटपरस्त और जनविरोधी कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर दिया था. हालांकि पांच साल बीतने के बाद एक समिति गठित की गयी है, लेकिन 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम को दिए गए एमएसपी के 50 प्रतिशत, कर्ज रहित और बिजली क्षेत्र का निजीकरण न करने के लिखित आश्वासनों को अभी तक लागू नहीं किया है. आज भारत के किसान पूरी तरह से बर्बादी की कगार पर हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नये एमएसपी के अनुसार धान 2369 रुपये की बजाय 1400 रुपये प्रति क्विंटल, कपास 7761 की जगह 2000, मक्का 2400 की जगह 1800 रुपये पर किसानों को बेचना पड़ रहा है. इसके कारण एक वर्ष में किसानों को 296320 करोड़ रुपये नुकसान उठाना पड़ा है, पर किसानों का एक भी रुपया का कर्ज माफ नहीं किया गया. जबकि सरकार ने पिछले 11 वर्षों में 16.41 लाख करोड़ रुपये काॅरपोरेट कर्ज माफ किया है. प्रदर्शन में मुख्य रूप से एहतेशाम अहमद, अखिलेश कुमार झा, देवी सिंह पहाडिया, सुभाष हेंब्रम, भागवत राम, जनार्धन देहरी सहित काफी संख्या में संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य शामिल थे. क्या हैं मांगें :- लागत के साथ 50 प्रतिशत की दर पर खरीद की गारंटी के साथ एमएसपी के लिए तुरंत एक कानून बनाया जाये. बिजली बिल 2025 वापस लिया जाये. बिजली दरों में वृद्धि को रोका जाये. खेती के लिए मुफ्त बिजली, सभी गरीबों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली मिले और प्रीपेड स्मार्ट मीटर बंद किया जाये. किसानों की आत्महत्या रोकने के लिए सभी किसानों के सभी कर्ज माफ किये जाएं. माइक्रोफाइनेंस कंपनियों को नियंत्रित किया जाए. श्रम संहिताओं को निरस्त किया जाये, न्यूनतम वेतन के अधिकार की रक्षा, भारत पर 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ को भारत की संप्रभुता का उल्लंघन मानते हुए सख्त जवाब दिया जाये. सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण बंद किया जाये. कृषि को डब्ल्यूटीओ से बाहर किया जाये. बीज विधेयक 2025 को रद्द किया जाये, 200 दिन काम के साथ 600 रुपये प्रतिदिन की दर से मनरेगा मजदूरी, सभी के लिए राशन कार्ड, वृद्ध किसानों को दस हजार रुपये पेंशन दिया जाये. अमेरिका और ब्रिटेन या अन्य देशों से मुक्त व्यापार समझौता रद्द किया जाए. खाद, बीज व दवा की कालाबाजारी बंद की जाये. राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 को रद्द किया जाये. नयी कृषि विपणन नीति रद्द की जाये. बाढ़, चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का तुरंत आकलन करते हुए पर्याप्त मुआवजा दिया जाये. सहमति के बिना भूमि अधिग्रहण पर रोक लगायी जाए. लागू किए गये 2013 का भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन अधिग्रहण करना, प्रदूषण से किसानों की फसलों की रक्षा करने की मांग भी शामिल हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel