दुमका. झारखंड में केजी से पीजी तक संताल आदिवासियों के ओलचिकी लिपि से भी पढ़ाने और संताली भाषा को राज्य का प्रथम राज्य भाषा घोषित करने के मांगों को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि मंडल ने जामा विधायक और पूर्व मंत्री डॉक्टर लोइस मरांडी को उनके आवास में मांग-पत्र दिया. इसके साथ साथ इन मांगों को लेकर विधायक के माध्यम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम भी मांग-पत्र दिया गया. सामाजिक संगठनों का कहना है कि राज्य बनने के 25 वर्षों के बाद भी संताल आदिवासी समुदाय का संपूर्ण सामाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हुआ. राज्य में आदिवासी जनसंख्या में सबसे अधिक है. संताल समुदाय का संपूर्ण सामाजिक, संस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हो पाया है. इसका मुख्य कारण संताल आदिवासी का शैक्षणिक स्तर निम्न होना है, उनके शैक्षणिक स्तर और जीवन स्तर को सुधारने के लिए यह जरूरी है कि उनके ही अपनी भाषा संताली और उसकी स्वयं के लिपि ओलचिकी से भी सरकारी शिक्षण संस्थानों में केजी से लेकर पीजी तक पठन- पठान शुरू किया जाए और प्रोत्साहित किया जाये. ओलचिकी के आविष्कारक एवं साहित्यकार पंडित रघुनाथ मुर्मू के 120वीं जंयती पर विधायक द्वारा सोशल मीडिया में शुभकामनाएं देने पर संगठन के प्रतिनिधियों ने धन्यवाद किया. मौके पर परेश मुर्मू, सुभाष किस्कू,लिखन्द्र मुर्मू, शिबू मुर्मू, राजेन्द्र टुडू,मनोज मुर्मू,उमेश हेम्बरम,सुनील टुडू, उमेश मुर्मू, दिनेश मुर्मू, विकास टुडू, रोहित मुर्मू,रामकिंकर टुडू, रायसेन बास्की आदि उपस्थित थे.
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