प्रतिनिधि, हंसडीहा शारदीय नवरात्र के सातवें दिन रविवार की रात पगवारा स्थित मां दुर्गा मंदिर परिसर में चल रही श्रीराम कथा में कथावाचिका दिव्या देवी जी ने जब केवट प्रसंग और भरत मिलन की कथा का भावपूर्ण वर्णन किया तो पूरा वातावरण भक्तिरस से सराबोर हो गया. मधुर भजनों और कथा प्रसंगों ने श्रद्धालुओं की आंखों को नम कर दिया. कथावाचिका ने बताया कि श्रीराम कथा केवट के अटूट प्रेम से शुरू होती है. गंगा तट पर जब भगवान श्रीराम स्वयं केवट से नौका मांगने पहुंचे तो यह भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समर्पण का अद्भुत उदाहरण बन गया. उन्होंने कहा कि इस प्रसंग से स्पष्ट होता है कि भगवान अपने भक्तों के प्रेम से बंध जाते हैं. कथा में आगे दशरथ जी के स्वर्गारोहण और भरत जी के वन में श्रीराम से मिलने के प्रसंग का भावपूर्ण चित्रण हुआ. चित्रकूट में भरत और श्रीराम का मिलन सुनते ही श्रद्धालु भावुक हो उठे. कथावाचिका दिव्या देवी जी ने कहा कि प्रत्येक कल्प में भगवान श्रीरामावतार लेकर अधर्म का अंत और भक्तों को आनंद प्रदान करते हैं. त्रेता युग में चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को महाराजा दशरथ और माता कौशल्या के घर भगवान का अवतार हुआ. कथा के अंत में जन्मोत्सव की झांकी और भक्ति गीतों पर श्रद्धालु झूम उठे तथा एक-दूसरे को बधाई दी.
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