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श्रीमद्भागवत कथा के दौरान भगवान को समर्पित किया छप्पन भोग

कथा वर्णन के बाद कथा स्थल पर अन्नकूट के बाद भगवान को छप्पन भोग भी समर्पित किया गया. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला से संबोधित मनमोहक झांकियां भी प्रस्तुत की गयी.

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रामगढ़. लखनपुर स्थित नर्मदेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के पांचवें दिन ब्रज किशोरी ने प्रभु श्रीराम एवं प्रभु श्रीकृष्ण के जन्म एवं भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के जन्म के बाद कंस ने उन्हें मारने के लिए अपनी विश्वासी तथा राज्य की सर्वाधिक बलवान राक्षसी पूतना को भेजा. पूतना ने वेश बदलकर बाल कृष्ण को अपने जहरीले स्तन से दूध पिला कर मारने का प्रयत्न किया. लेकिन भगवान श्रीकृष्ण पूतना का ही वध कर देते हैं. कार्तिक माह में गोकुल निवासी भगवान इंद्र को प्रसन्न करने के लिए इन्द्र पूजन की तैयारी करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण उनको देवराज इंद्र की बजाय गिरिराज गोवर्धन की पूजा करने कहते हैं. अपनी पूजा न होने से इंद्र कुपित होकर पूरे ब्रज को नष्ट करने के लिए गोकुल में भारी वर्षा कराते हैं. इससे समस्त ब्रजवासी परेशान हो जाते हैंं. उनकी परेशानी को दूर करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा अंगुली पर धारण कर समस्त ब्रजवासियों को पर्वत के नीचे बुला कर सुरक्षा प्रदान करते हैं. इससे हार कर इंद्र एक सप्ताह के बाद वर्षा को बंद कर देते हैं. इंद्र का अभिमान नष्ट होता है, जिसके बाद ब्रज में भगवान श्रीकृष्ण और गिरिराज गोवर्धन के जयकारे लगने लगते हैं. गिरिराज की पूजा होती है. कथा वर्णन के बाद कथा स्थल पर अन्नकूट के बाद भगवान को छप्पन भोग भी समर्पित किया गया. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला से संबोधित मनमोहक झांकियां भी प्रस्तुत की गयी.

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