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पितृ पक्ष आज से, महालया अमावस्या को होगा समापन

मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान और दान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है.

प्रतिनिधि, बासुकिनाथ पितृ पक्ष का आरंभ सोमवार से पूर्णिमा और प्रतिपदा तिथि के साथ होगा, जो 21 सितंबर को महालया अमावस्या पर समाप्त होगा. मान्यता है कि श्राद्ध पक्ष में पितृ धरती पर आकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. उन्हें प्रसन्न करने के लिए तर्पण, पिंडदान और दान की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है. माना जाता है कि मृत्यु तिथि पर किये गये श्राद्ध से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं. पूर्वजों के आशीर्वाद से परिवार सुरक्षित रहता है. पंडित सुधाकर झा के अनुसार, तर्पण और श्राद्ध के लिए कुतुप मुहूर्त श्रेष्ठ माना जाता है. यह दिन का आठवां मुहूर्त होता है, जिसका समय सुबह 11:59 से दोपहर 12:49 तक (50 मिनट) रहता है. इस समय किए गए तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं. उनकी आत्मा को शांति मिलती है. श्राद्ध में पिंडदान का विशेष महत्व है. इसके लिए चावल को गलाकर उसमें दूध, घी, गुड़ और शहद मिलाकर पिंड बनाए जाते हैं. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ये पिंड पितरों को अर्पित कर जल में प्रवाहित किए जाते हैं. मान्यता है कि पितृ पक्ष में पिंडदान करने से सात पीढ़ियों का उद्धार होता है. पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है.

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