सीएचसी में तीन से चार डॉक्टरों की है जरूरत, हेल्थ कर्मी व संसाधन की है कमी
प्राइवेट व पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों के पास जाकर इलाज करा रहे लोगप्रतिनिधि, रानीश्वर
संताल परगना क्षेत्र से स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए भी जिले के पश्चिम बंगाल सीमा से सटे रानीश्वर प्रखंड में डाक्टरों की घोर कमी है. यहां ग्रामीणों के चिकित्सा के लिए एक सीएचसी, तीन पीएचसी व 25 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं. इसके बदले एक मात्र डाक्टर पदस्थापित हैं, जो प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी का पद भी संभाले हैं, जिस दिन प्रभारी जिलास्तरीय या अन्य मीटिंग या दूसरे काम में मुख्यालय से बाहर रहते हैंश, उस दिन ओपीडी या तो होमियोपैथी या आयुर्वेदिक डॉक्टर के भरोसे या फार्मासिस्ट के भरोसे रह जाता है. यह तो सीएचसी का हाल है, जबकि सीएचसी में आठ डाक्टरों का पद सृजित है. उधर, बांसकुली,आमजोड़ा व आसनबनी में पीएचसी हैं. तीनों पीएचसी में दो-दो डाक्टरों का पद सृजित है. सभी डाक्टरों का पद फिलहाल रिक्त है. पीएचसी में पदस्थापित एएनएम के भरोसे ग्रामीणों का चिकित्सा किया जाता है. ग्रामीणों को डाॅक्टर नसीब नहीं है, जिन लोगों को एएनएम से चिकित्सा करना पसंद नहीं. वैसे लोग या तो प्राइवेट डॉक्टरों से इलाज कराते हैं या तो नजदीकी पश्चिम बंगाल के सिउड़ी या अन्य जगहों पर इलाज कराते हैं. यहां आमलोगों के चिकित्सा के लिए डाक्टरों की व्यवस्था या अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. पर करोड़ों की लागत से सभी जगहों पर आलीशान भवन निर्माण कराया जा रहा है, जो शोभा की वस्तु बनी है. सिर्फ स्वास्थ्य केंद्र भवन ही नहीं डाक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों के लिए आवास भी बनाया गया है. सीएचसी रानीश्वर में पदस्थापित डाॅ देवानंद मिश्रा की प्रतिनियुक्ति शिकारीपाड़ा में करीब दो साल पहले कर दी गयी. वहीं पीएचसी आसनबनी में आमजोड़ा में पदस्थापित एक-एक डाॅक्टर उच्च शिक्षा के लिए अवकाश पर हैं. सीएचसी में पदस्थापित एकमात्र डाक्टर जो प्रभारी का पद संभाल रहे हैं, उनके द्वारा पीएचसी व स्वास्थ्य उपकेंद्र का निरीक्षण करना भी संभव नहीं हो पा रहा है.क्या कहते हैं ग्रामीण
प्रखंड के सबसे घनी आबादी वाले गांव आसनबनी में पीएचसी है. पर डाॅक्टर विहीन है. एएनएम के भरोसे चिकित्सा सेवा चल रहा है. आसनबनी में कम से कम एक डॉक्टर रहने से आसनबनी व आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों को चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल पाता.विमल मोदी, आसनबनी आमजोड़ा में एक पीएचसी व एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है. पीएचसी में एक भी डॉक्टर नहीं है. यहां से सिउड़ी नजदीक होने के कारण अधिकांश लोग सिउड़ी में ही इलाज कराते हैं. चिकित्सा के नाम पर बड़ी बिल्डिंग बना दी गयी है. पर डाॅक्टर व अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं है.
सोमनाथ राय, चांपाफुलीबांसकुली में पीएचसी है. पर डाक्टर विहीन है. जयताड़ा में एक स्वास्थ्य उपकेंद्र है, जो भवनविहीन है. इस परिस्थिति में यहां चिकित्सा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रहा है. सिर्फ स्वास्थ्य केंद्र खोले जाने से नहीं होगा आमलोगों के इलाज के लिए व्यवस्था करने की जरूरत है.
मोतालिव खान, जयताड़ाकोट ::::
सीएचसी में कम से कम तीन से चार डाक्टरों की जरूरत है. तीन शिफ्ट में डाक्टर रहने से डाक्टरों का रोस्टर बनाया जा सकता है. डाक्टरों की कमी के चलते रोस्टर भी नहीं बना पा रहे हैं. वहीं पीएचसी व स्वास्थ्य उपकेंद्र का समय-समय पर निरीक्षण करना भी संभव नहीं हो पा रहा है.
डॉ नदियानंद मंडल, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

