जामा. जामा प्रखंड के गैर-आदिवासी बहुल गांवों में बुधवार को किशोरी कन्याओं ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी पर कर्मा पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया. बहनों ने भाई की दीर्घायु और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखा. पंचमी से युवतियों ने बांस की डाली में अनाज के बीज डालकर पूजा शुरू की, कर्मा गीत गाए और नृत्य किया. एकादशी को निर्जला उपवास के बाद शाम को कर्मा डाली की पूजा की गई और कर्मा पर्व की कथा सुनी गई, जो हिरिया और जिरिया नामक बहनों की प्रेम और त्याग की कहानी है. पूजा के बाद बहनों ने भाई का हाथ पकड़कर तालाब की परिक्रमा की, आशीर्वाद लिया और प्रसाद बांटा. रात में फलाहार के बाद, अगले दिन सूर्योदय से पहले कर्मा डाली को नदी में विसर्जित किया गया और बासी भात का सेवन किया गया. भैरोपुर, लखनपुर, कैराबनी, परगाडीह, ताराजोरा, दुमा, कोलहड़िया, चिकनिया और जामा सदर सहित गांवों में यह पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया, जो भाई-बहन के स्नेह और लोक संस्कृति का प्रतीक है.
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