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अनंत चतुर्दशी पर फौजदारीनाथ दरबार में 50 हजार श्रद्धालुओं ने चढ़ाया जल

उत्तरवाहिनी गंगाजी से पैदल जल लाकर भक्त लगातार भोलेनाथ का अभिषेक कर रहे थे. पंडितों ने दूध व गंगाजल से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भोलेनाथ का अभिषेक किया.

बासुकिनाथ. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि पर शनिवार को बाबा फौजदारीनाथ दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. मंदिर प्रबंधन के अनुसार करीब 50 हजार श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया. उत्तरवाहिनी गंगाजी से पैदल जल लाकर भक्त लगातार भोलेनाथ का अभिषेक कर रहे थे. पंडितों ने दूध व गंगाजल से वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच भोलेनाथ का अभिषेक किया. भक्तों ने पवित्र शिवगंगा में डुबकी लगाकर बाबा भोलेनाथ की पूजा-अर्चना की. कतारबद्ध होकर भक्तों ने जलार्पण किया. श्रद्धालुओं की कतार संस्कार भवन, फलाहारी धर्मशाला और क्यू कॉम्पलेक्स तक फैली रही. बिहार, बंगाल, यूपी सहित अन्य क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे. मंदिर के पुजारी डबलू बाबा ने कहा कि त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव की विधि-विधानपूर्वक पूजा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करना भी उत्तम फलदायी माना गया है. वहीं शीघ्रदर्शनम व्यवस्था के तहत भक्तों ने 300 रुपये का टोकन कटवाकर सुगमतापूर्वक जलार्पण किया. पंडित गणेशानंद झा ने बताया कि अनंत चतुर्दशी व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न कर अनंत फल प्रदान करता है. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर एवं अनंतसूत्र बांधकर पूजा करने से समस्त बाधाओं से मुक्ति मिलती है.

अनंत चतुर्दशी पर भक्तों ने बांधे 14 गांठों के रक्षा सूत्र :

भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी का व्रत किया गया. इस सूत्र की पहले पूजा की गई, फिर भक्तों ने इसे धारण किया. अनंत चतुर्दशी पर्व शुक्रवार को मंदिर प्रांगण में मनाया गया. व्रतियों ने श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना की और अनंत रूपों वाले भगवान विष्णु की आराधना कर पुरुषों व महिलाओं ने हाथ पर अनंतसूत्र बांधे. पंडितों ने विधिवत पूजा कराई. पंडित सुधाकर झा ने बताया कि चौदह गांठ वाला धागा बांधने से स्वास्थ्य लाभ, कार्यक्षेत्र में उन्नति और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. इस सूत्र में 14 गांठें लगाई जाती हैं, जिन्हें 14 लोकों से जोड़ा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार ये 14 लोक—भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक—माने जाते हैं. अनंत सूत्र की हर गांठ एक लोक का प्रतिनिधित्व करती है.

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