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चलु चलु बहिना हकार पुरै लै, पूजा दाइ के वर एलखिन्ह टेमी दागै लै…सुखद दाम्पत्य जीवन की सीख के साथ संपन्न हुआ मधुश्रावणी पर्व

इस महापर्व में टेमी दागने की प्रथा के साथ यह पर्व संपन्न हो गया

बासुकिनाथ. बासुकिनाथ क्षेत्र में नवविवाहिताओं का महापर्व मधुश्रावणी बुधवार को परंपरागत विधि-विधान के साथ संपन्न हो गया. चलु चलु बहिना हकार पुरै लै, पूजा दाइ के वर एलखिन्ह टेमी दागै लै…. गीत से संपन्न हुआ. यह महापर्व श्रावणी मास तृतीया तिथि में संपन्न हुआ. नवविवाहिताओं को सुखद व सफल दाम्पत्य जीवन की शिक्षा दी गयी. इस महापर्व में टेमी दागने की प्रथा के साथ यह पर्व संपन्न हो गया. पूरे पर्व के दौरान विभिन्न कथाओं के माध्यम से नवविवाहिताओं को दाम्पत्य जीवन के हर एक पहलुओं की बारीक जानकारी महिला पुरोहितों के माध्यम से दी गयी. वहीं, विधि-विधान के साथ नवविवाहिता अदिति कुमारी, मोना कुमारी ने पूजन कर अपने सुहाग की सलामती का आशीर्वाद ईश्वर से प्राप्त किया. प्रतिदिन फूल तोड़ कर लाने वाली व्रती बासी फूलों से अगले दिन गौरी, महादेव, विषहरी सहित अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करती थी. अंतिम दिन मधुश्रावणी का विधान है, बुधवार को इसको लेकर सुबह से ही व्रतियों के आंगन में खास चहल-पहल रही. व्रती के ससुराल से परंपरानुसार भार आया, व्रती की मां सहित पूरे परिवार के लिए नए वस्त्र आए. नए परिधान में लिपटी व्रती ने सोलह श्रृंगार किया. इसके बाद पूजन की विधि शुरू हुई. मान्यता है कि फफोले जितने बड़े होंगे वर-वधु का वैवाहिक जीवन उतना ही सुखी होगा और वे उतने ही दीर्घायु होंगे. हालांकि आधुनिकता के इस युग में यह पूजन सिर्फ विधान मात्र रह गया है. ताकि व्रती को कष्ट न हो सके. ब्रती पूजा सम्पन्न कर 14 सुहागिनों में बांस के डाला श्रृंगार से संबंधित वस्तुएं वितरण किया तथा विभिन्न प्रकार के मिष्ठान व खीर भोजन कराया गया. पूजन के पश्चात भार का प्रसाद आगंतुक महिलाओं के बीच बांटा गया.

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