प्रतिनिधि, रामगढ़ प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में भगवान सूर्य की उपासना का पर्व अगहनी डोरा रविवार को श्रद्धापूर्वक मनाया गया. इसमें भगवान सूर्य की उपासना की जाती है. इस पर्व में महिलाएं एक स्थान पर सामूहिक रूप एकत्रित होकर भगवान सूर्य का पूजन करती हैं. डोरा पर्व में पूरे विधि-विधान और निष्ठा पूर्वक पवित्रता का ध्यान रखते हुए प्रथम दिन शुक्रवार को नहायश खाय, दूसरे दिन शनिवार को दिन भर उपवास के बाद संध्या पूजन के दौरान भगवान सूर्य को खीर का भोग तथा तृतीय दिन सामूहिक रूप से कलश स्थापित कर जल एवं दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. माना जाता है कि भगवान सूर्य के डोरा व्रत से दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों का निवारण होता है. व्रतियों द्वारा डोरा बांधा गया है. अब वैशाख में डोरा खोला जायेगा. इस दौरान लगातार छह माह तक प्रतिदिन व्रती महिलाएं प्रातः स्नान कर भगवान सूर्य की कथा का श्रवण करने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं. इस दौरान पूरे छह मास तक नियम तथा निष्ठा का अनुपालन करना पड़ता है. इस तरह से यह व्रत एक तरह से पूरे छह माह तक चलता है. अगहनी डोरा में बांस का नया सूप, अरवा चावल से बनी मुठली, घंघरा, पान, सुपाड़ी, केला, डोरा, लौंग, इलायची, कलश आदि का उपयोग अनिवार्य रूप से होता है.
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