प्रतिनिधि, रानीश्वर. बृंदावनी पंचायत के बड़ातरणी गांव के आदिवासी टोला और पहाड़ किनारे स्थित पहाड़िया टोला आज भी विकास की दृष्टि से अछूते हैं. इस गांव तक पहुंचने के लिए चार किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क बारिश के मौसम में कीचड़ और फिसलन का दलदल बन जाती है. गांव के आदिवासी टोला से लेकर पहाड़ किनारे बसे पहाड़िया टोला तक लोगों को पैदल चलना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं लगता. फिसलन भरी सड़क पर गिरकर चोटिल होना यहां आम बात है. सबसे बड़ी चुनौती तब उत्पन्न होती है जब किसी को बीमार हालत में अस्पताल ले जाना होता है. ऐसे में ग्रामीण खटिया या बांस की चारपाई के सहारे मरीज को पक्की सड़क तक पहुंचाते हैं. वर्षों से इस रास्ते को पक्का बनाने की मांग उठाई जा रही है, लेकिन किसी भी विभाग या जनप्रतिनिधि ने अब तक इसे गंभीरता से नहीं लिया है. ग्रामीणों का कहना है कि प्रखंड के अंतिम छोर पर होने के कारण बड़ातरणी की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता. उनका कहना है कि पक्की सड़क बनने से न केवल यातायात सुगम होगा, बल्कि गांव के विकास का रास्ता भी प्रशस्त होगा. ग्रामीणों की प्रतिक्रिया प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना हो या किसी अन्य योजना से, बड़ातरणी मरांडी टोला तक पक्की सड़क बनना अत्यंत जरूरी है. झारखंड अलग राज्य बने पच्चीस साल हो गए, फिर भी गांव तक सड़क नहीं पहुंच पाई है. बरसात में साइकिल से भी चलना मुश्किल हो जाता है. – बबलू मुर्मू. हमारे गांव से प्रखंड मुख्यालय की दूरी करीब पच्चीस किलोमीटर है. बरसात में कीचड़ भरी सड़क से गुजरना बहुत कठिन होता है. अगर गांव तक पक्की सड़क बन जाए तो लोगों को बड़ी राहत मिलेगी. सरकार को इस दिशा में जल्द कदम उठाना चाहिए. – बेंजामिन हेंब्रम. बरसात के समय किसी के बीमार पड़ने पर बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. सड़क खराब होने से गाड़ी गांव तक नहीं आ पाती है. अगर सड़क पक्की बन जाए तो मरीजों को अस्पताल ले जाना आसान होगा. हम सभी ग्रामीण जल्द से जल्द सड़क निर्माण की मांग करते हैं. – रोजमेरी हेंब्रम. जनप्रतिनिधियों का रवैया उदासीन है. बरसात में बच्चों को स्कूल आने-जाने में भी परेशानी होती है. सड़क कीचड़ से भर जाती है और गिरने की संभावना बनी रहती है. प्रशासन को गांव तक पक्की सड़क निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए. – नमिता सोरेन.
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