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जरमुंडी में 1600 एकड़ में लगी धान की फसल बर्बाद

जरमुंडी प्रखंड के लगभग 1600 एकड़ क्षेत्र में धान की फसल झुलसा रोग, कीट और अन्य बीमारियों से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। लगातार बारिश के कारण भूरा मधुआ कीट, तना छेदक, कंडवा रोग और फिजी वायरस ने फसल को नुकसान पहुंचाया है। पत्तों पर काले धब्बे, सूखे पौधे और बालियों का सड़ना आम समस्या बन गई है, जिससे कई किसानों की फसल पूरी तरह नष्ट हो गई है। इससे किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कुछ मानसिक दबाव में भी हैं। जिला प्रशासन से आर्थिक सहायता की मांग की गई है ताकि किसान पुनः खेती कर सकें। कृषि अधिकारी अक्षय कुमार साह ने कीटनाशकों व कवकनाशकों के उपयोग पर जोर दिया है।

धान की फसलों पर झुलसा रोग का प्रकोप, किसानों की बढ़ी चिंता प्रतिनिधि, बासुकिनाथ. जरमुंडी प्रखंड के किसान इन दिनों गहरी चिंता में हैं. लगातार बारिश के कारण धान की फसल पर कीटों और बीमारियों का गंभीर असर पड़ा है. खेतों में झुलसा रोग फैल गया है, जिससे पौधे सूखने लगे हैं और पत्तों पर काले धब्बे दिखाई दे रहे हैं. कई एकड़ में खड़ी फसल लगभग पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. किसानों ने बताया कि भूरा मधुआ कीट और तना छेदक कीट ने फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है. इसके अलावा, कंडवा रोग से बालियां काली पड़कर सड़ रही हैं और फिजी वायरस जैसी बीमारियाँ भी फसल को प्रभावित कर रही हैं. किसान बालकिशोर मंडल, नारायण मंडल, गणेश मंडल, उमेश मंडल, रामचंद्र मांझी, झाबन मांझी और पलटन हांसदा ने बताया कि पकी हुई फसल भी बीमारी और कीटों के कारण पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. इस स्थिति ने किसानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है. कुछ किसान भुखमरी और कर्ज के डर से मानसिक रूप से परेशान हैं. खेतों की बर्बादी ने उनके जीवन की स्थिरता को हिला दिया है. सांसद प्रतिनिधि जयप्रकाश मंडल ने जिला प्रशासन से अपील की है कि किसानों के नुकसान का आकलन कर उन्हें आर्थिक सहायता दी जाए. उन्होंने कहा कि गरीब किसानों को राहत पहुंचाना बेहद जरूरी है, ताकि वे फिर से खेती के लिए हिम्मत जुटा सकें. यह समय संवेदनशीलता और सहयोग का है, जिससे जरमुंडी के किसान फिर से अपने खेतों में उम्मीद की फसल उगा सकें. —— क्या कहते हैं अधिकारी यह धान का एक विनाशकारी रोग है, जिसे कभी-कभी धान का कैंसर भी कहते हैं. इसमें तने की गाँठें काली पड़कर टूट जाती हैं, और गंभीर स्थिति में पूरा खेत झुलसा हुआ दिखता है. जल भराव वाले खेतों में यह बीमारी अधिक होती है. फिजी वायरस और अन्य कीटों से बचाव के लिए एसफेट, ब्यूप्रोफेजिन, या फ्लोरनिकमाइड जैसे कीटनाशकों का संतुलित मात्रा में छिड़काव करें. झुलसा रोग के उपचार के लिए ट्राइसाइक्लाज़ोल या मैन्कोजेब जैसे कवकनाशी, और इज़ुकी एवं अमिस्टार टॉप फंगीसाइड का प्रयोग झुलसा को रोकने में बेहतर असर दिखाता है. अक्षय कुमार साह, बीएओ —– किस गांव में कितने एकड़ की फसल को नुकसान ग्राम लगवा लगभग 100 एकड़, भालकी में 100 एकड़, राजा सिमरिया पंचायत के लगभग सभी ग्रामों में बदरमपुर 100 एकड़ कटिम्बा में 20 एकड़, ककनिया में 50 एकड़, राजासिमरिया 170 एकड़, मोहलबना 100 एकड़, शंकरपुर 40 एकड़, डुमरिया 80 एकड़, जयपुर 80 एकड़, बैरबाना गांव में 110 एकड़, दरबे गांव में 70 एकड़, मटकारा में 100 एकड़, बाघमारा में 90 एकड़, खुटहरी गांव 150 एकड़, क्लोडपिंडारी गांव में 100 एकड़, ठोढा गांव में 40 एकड़, ठाढी गांव में 50 एकड़, गरडा में 100 एकड़ कुल 1600 एकड़ भूमि पर लगा धान का फसल बर्बाद हो गया है. ये किसान हुए प्रभावित जरमुंडी प्रखंड के किसान चेतन कमाती,उपेंद्र कुंवर,मंटू कमाती, संतोष कमाती, दिनेश कुमार, कैलाश कापरी, हरधन मांझी,अर्जुन मांझी,कृष्णकांत तिवारी, दिनकर दुबे, बालकिशोर मंडल, नारायण मंडल, गणेश मंडल, उमेश मंडल, रामचंद्र मांझी, झाबन मांझी, पलटन हांसदा, सुखलाल मुर्मू, शनि लाल मुर्मू, धर्मलाल मुर्मू, सुशील मरांडी,निकुंज बिहारी मंडल, दुर्गाप्रसाद मंडल, सुरेश मंडल, लक्ष्मण लायक, कुलदेव मांझी, दिवाकर राउत, गणेश राउत, रामकिशोर मंडल, कारण मंडल, प्रकाश मांझी, कृष्णदेव यादव, नाजिर मांझी, नागेश्वर मोहाली, मुना मांझी आदि किसान प्रभावित हुए हैं.

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