दुमका : 2 जुलाई 2013 को पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार और उनके पांच अंगरक्षकों की हत्या में संलिप्त एक लाख रुपये के इनामी नक्सली महाशय सोरेन उर्फ महाशय बास्की ने गुरुवार को पुलिस प्रशासन के समक्ष सरेंडर कर दिया. तीसरी कक्षा तक पढ़ा लिखा महाशय शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के शंकरपुर का रहनेवाला है. पिता की मौत के बाद वह भाकपा माओवादी संगठन के संपर्क में आ गया.
उसने बताया कि उसे बहला फुसलाकर पढ़ाने के नाम पर ले जाया गया था. वह 2012 से 2018 तक भाकपा माओवादी दस्ते में शामिल रहा. दस्ते में रहने के दौरान काठीकुंड में 30 नवम्बर 2012 को जीवीआर कंपनी के क्रशर प्लांट में आठ डंपर जला देने, लिट्टीपाड़ा में 10 अप्रैल 2013 को वारदात को अंजाम देने, 13 नवम्बर 2013 को शिकारीपाड़ा में पुलिसकर्मियों पर फायरिंग करने, लोकसभा चुनाव के दौरान 24 अप्रैल 2014 को पोलिंग पार्टी पर हमला कर आठ लोगों की हत्या तथा पांच इंसास राइफल और कारतूस लूटने तथा नवम्बर 2014 में सीतासाल पहाड़ी पर मुठभेड़ में शामिल था.
सरेंडर के दौरान डीआईजी राजकुमार लकड़ा, डीसी मुकेश कुमार, एसपी वाईएस रमेश, प्रशिक्षु आईएएस शशि प्रकाश, एसएसबी के 35 वी बटालियन के कमाण्डेन्ट परीक्षित बेहरा और सेकेंड इन कमांडेंट संजय कुमार गुप्ता, इंस्पेक्टर मनोज ठाकुर व संजय मालवीय मौजूद थे. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि 2 जुलाई, 2013 को दुमका-पाकुड़ मार्ग पर काठीकुंड के अमतल्ला के पास हुई पाकुड़ के तत्कालीन एसपी अमरजीत बलिहार एवं उनके पांच अंगरक्षकों को भाकपा माओवादियों ने मार डाला था. बलिहार दुमका में डीआइजी की बैठक में भाग लेने के बाद लौट रहे थे. काठीकुंड से दो-तीन किमी आगे बढ़ने के बाद ही एक नवनिर्मित पुलिया के पास उछाल की वजह से जैसे ही पाकुड़ एसपी की स्कॉर्पियो धीमी हुई थी, घात लगाकर बैठे सशस्त्र नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. एसपी के अंगरक्षकों की वहीं मौत हो गयी.
नक्सलियों से घिरने के बाद भी एसपी बलिहार ने उनका सामना करने का भरपूर प्रयास किया था, पर भारी संख्या में मौजूद नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की. फलस्वरूप बलिहार ज्यादा देर तक उनका मुकाबला नहीं कर सके और नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये.