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संताल में दलहन-तेलहन की खेती पर जोर

रबी की खेती. नये वर्ष में 113011 में दलहन व 111225 हेक्टेयर जमीन पर तेलहन आच्छादन का लक्ष्य गेहूं, मक्का व सूर्यमुखी की खेती के लक्ष्य में नहीं हुआ है बदलाव दुमका : पिछले साल की तुलना में संताल परगना प्रमंडल में इस वर्ष रबी के मौसम में दलहन और तेलहन की खेती पर विशेष […]

रबी की खेती. नये वर्ष में 113011 में दलहन व 111225 हेक्टेयर जमीन पर तेलहन आच्छादन का लक्ष्य

गेहूं, मक्का व सूर्यमुखी की खेती के लक्ष्य में नहीं हुआ है बदलाव
दुमका : पिछले साल की तुलना में संताल परगना प्रमंडल में इस वर्ष रबी के मौसम में दलहन और तेलहन की खेती पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अधिक उत्पादन कराने के लिए दलहन-तेलहन का आच्छादन भी अधिक वर्ग क्षेत्र में कराने की योजना है. इसके लिए केंद्र व राज्य सरकारी की विभिन्न योजनाओं के जरिये भी किसानों को प्रेरित किया जा रहा है.
संयुक्त कृषि निदेशक कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक संताल परगना प्रक्षेत्र में जहां रबी 2016-17 में 101600 हेक्टेयर में दलहन व 102425 हेक्टेयर में तेलहन से आच्छादन किये जाने का लक्ष्य रखा गया था. वहीं इस वर्ष इसमें क्रमश: 12.2 प्रतिशत और 8.6 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करते हुए क्रमश: दलहन में 113011 हेक्टेयर व तेलहन में 111225 हेक्टेयर आच्छादन का लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है. हालांकि गेहूं रबी के मौसम में गेहूं व मक्का तथा सूर्यमुखी की खेती के लिए लक्ष्य में कोई बदलाव इस बार नहीं हुआ है.
फसल पिछला लक्ष्य उपलब्धि प्रतिशत नये वर्ष का लक्ष्य
गेहूं 70000 53768 76.8 70000
मक्का 8100 3918 48.37 8100
चना 63000 48841 77.52 67000
मसूर 22500 16529 73.46 25000
मटर 10900 7308 67.04 13262
अन्य दलहन 5200 4084 78.53 7749
सरसों/राई 85000 74121 87.20 90000
तिसी 15000 10137 67.58 17500
सूर्यमुखी 1150 67.0 05.82 1150
कुसुम 1275 417 32.70 2575
जिलावार खेती का लक्ष्य (हेक्टेयर में)
फसल दुमका जामताड़ा देवघर गोड्डा साहिबगंज पाकुड़
गेहूं 16000 8000 11000 13000 13000 9000
मक्का 1800 600 2000 1500 1100 1100
चना 15000 7000 12000 11000 11000 11000
मसूर 4500 3000 4500 4500 4500 4000
मटर 2500 2500 2362 2500 2200 1200
सरसों 19000 15000 13000 15000 15000 13000
तिसी 3500 1500 3500 3500 3500 2000
सूर्यमुखी 800 000 000 000 000 350
कुसुम 500 500 500 500 500 075
मक्का, मसूर, मटर व सूर्यमुखी ने किया था निराश
पिछले वर्ष संताल परगना में मक्का ही नहीं रबी के मौसम में मटर, मसूर, तिसी, सूर्यमुखी और कुसुम का उत्पादन उम्मीद के अनुरूप नहीं हो पाया था. मक्का का उत्पादन तो महज 48 प्रतिशत हुआ था, जबकि सूर्यमुखी का तो महज 5 प्रतिशत. कुसुम की स्थिति भी अच्छी नहीं थी. लक्ष्य के विरुद्ध कुसुम 32 प्रतिशत, तिसी तथा मटर 67-67 प्रतिशत ही उत्पादित हुआ था.
दलहन-तेलहन विकास के चलाये जा रहे कई कार्यक्रम
केवीके के प्रधान वैज्ञानिक डॉ श्रीकांत सिंह ने बताया कि दलहन-तेलहन विकास के कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं. इसका लाभ दिखने लगा है. आनेवाले वर्षों में दलहन-तेलहन के उत्पादन में काफी बढ़ोत्तरी होगी और किसानों का इसके प्रति रुझान भी बढ़ेगा. दुमका जिले में पल्सेस सीड हब प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. इसके तहत गत वर्ष 650 क्विंटल दलहन उत्पादित किये गये थे. इस वर्ष यह हजार क्विंटल से ऊपर होगा. विभिन्न जिलों में नेशनल मिशन ऑफ सीड एंड ऑयल पॉम तथा नेशनल फूड सिक्यूरिटी मिशन (पल्सेस) से भी किसानों को तेलहन-दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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