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Dhanbad News : नीरज सिंह हत्याकांड : परिस्थितिजन्य साक्ष्य पेश नहीं कर सका अभियोजन, हथियार नहीं मिलना भी रहा कारण

पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत सभी 10 आरोपितों के एमपी-एमएलए कोर्ट से बरी हाेने का मामला

आदेश के प्रमुख बिंदु

-आदित्य राज को चश्मदीद गवाह साबित नहीं कर पाया अभियोजन

-क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान बदलता रहा कई गवाहों का बयान

-अमर सिंह को छोड़ कर कोई गवाह नहीं हुआ होस्टाइल

-जब्त बाइक हत्यारोपियों के इस्तेमाल करने की बात नहीं हो पायी साबित

पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह सहित चार लोगों के हत्या मामले में अभियोजन पक्ष द्वारा पेश सारे गवाह व दावों को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी ने खारिज कर दिया. पूर्व विधायक संजीव सिंह समेत सभी 10 आरोपितों के बरी हाेने का यही कारण था. इस कांड के चश्मदीद गवाह आदित्य राज की गवाही को गलत बताते हुए कहा गया कि घटना के समय वह वाहन में मौजूद नहीं था. क्रॉस एग्जामिन के दौरान कई गवाहों का बयान बदलता रहा. पुलिस द्वारा पेश सीसीटीवी फुटेज के आधार पर यह साबित नहीं हो पाया कि घटनास्थल पर पूर्व विधायक संजीव सिंह, जैनेंद्र उर्फ पिंटू सिंह मौजूद थे. 21 मार्च 2017 को स्टील गेट में नीरज सिंह, उनके पीएस अशोक यादव, निजी अंगरक्षक मुन्ना तिवारी व चालक घोलटू महतो की हत्या हुई थी. 27 अगस्त को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. शुक्रवार को फैसले की प्रति इ-कोर्ट पर अपलोड की गयी.

प्राथमिकी के बारे में क्या जिक्र है

कोर्ट ने कहा कि हत्या 21 मार्च 2017 को हुई. इसकी प्राथमिकी 23 मार्च 2017 को दर्ज की गयी. पूरी प्राथमिकी का आधार चश्मदीद गवाह आदित्य राज के बयान को बनाया गया है. अदालत ने कहा कि आदित्य राज को पूर्व डिप्टी मेयर के अंगरक्षक के रूप में बताया गया है. साथ ही, दावा किया गया कि आदित्य राज घटना के समय गाड़ी में मौजूद था, जबकि उसके मोबाइल का टावर लोकेशन गिरिडीह पाया गया. साथ ही, आदित्य ने कहा कि वह घटना के समय अशोक यादव के पीछे छिप गया था. गाड़ी में रखी सब्जी अशोक यादव द्वारा खरीदी गयी थी, जबकि जांच में कहीं यह साबित नहीं हो पाया कि आदित्य राज को गोली लगी थी. गाड़ी में कोई सब्जी नहीं थी.

15 मिनट के अंदर 600 मरीजों का उपचार असंभव

फैसले में जिक्र है कि केंद्रीय चिकित्सालय जगजीवन नगर में नीरज सिंह एवं आदित्य राज की एंट्री में 15 मिनट का गैप है. दस्तावेज के अनुसार इस दौरान 600 मरीजों का उपचार हुआ. यह असंभव है. अभियोजन पक्ष के इस सबूत को सबूत के रूप में नहीं माना जा सकता. आदित्य राज की गवाही को खारिज किया जाता है. कोर्ट में क्रॉस एग्जामिनेशन के दौरान कई गवाहों का बयान वैरी किया. एक गवाह अमर सिंह होस्टाइल हुए.

नाइन एमएम पिस्टल व सेमी ऑटोमैटिक हथियार से मारी गोली

अदालत में पुलिस एक भी हथियार पेश नहीं कर सकी. प्राथमिकी के अनुसार, इस कांड को अंजाम देने के लिए पूर्ण स्वचालित हथियारों का उपयोग हुआ था, जबकि मृतकों के शरीर से मिली गोलियां बताती हैं कि नाइन एमएम पिस्टल एवं सेमी ऑटोमैटिक हथियार का इस्तेमाल हुआ. सूचक अभिषेक सिंह द्वारा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि पूर्व विधायक संजीव सिंह तथा जैनेंद्र उर्फ पिंटू सिंह ने गुरुकृपा ऑटो के पास उन्हें रोक कर कहा था कि तेरे भाई को मार दिये हैं. पुलिस द्वारा गुरुकृपा से जब्त सीसीटीवी फुटेज में कहीं भी संजीव सिंह तथा जैनेंद्र सिंह नहीं दिखे. परिस्थितिजन्य साक्ष्य भी अभियोजन के पक्ष में नहीं रहा.

तीन बाइक जब्त, किसी का इस्तेमाल साबित नहीं कर पायी पुलिस

घटना के बाद पुलिस ने तीन बाइकें जब्त की थीं. दावा किया था कि इन बाइकों का इस्तेमाल हत्याकांड को अंजाम देने वाले आरोपियों ने किया था. लेकिन पुलिस कोर्ट में यह साबित नहीं कर पायी कि आरोपियों ने इन बाइकों का इस्तेमाल किया था. हालांकि इन तीनों बाइकों का कोई दावेदार सामने नहीं आया.

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