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Dhanbad News: झारखंड मैदान में करम महोत्सव का आयोजन

Dhanbad News: झारखंड मैदान में करम महोत्सव का आयोजनDhanbad News: आज रे करम गोसाई घरे दुआरे, काइल रे करम गोसाई कास नदी पारे…, करम-करम कहलगे आयो, करम कर दिना कैसे आवै हो…, करमा के दिना आबे गे बहिन.. आदि गीतों से बुधवार को करम अखड़ा गुंजायमान रहे. करम महोत्सव को लेकर शहर से लेकर गांवों में काफी उत्साह रहा. करम गीतों से गांव गूंजते रहे. बहनों ने पारंपरिक परिधानों में सज-धज कर देर शाम करम डाल की पूजा कर अपने भाइयों के दीर्घायु होने की कामना की. शहर में कई जगह करम महोत्सव मनाया गया. झारखंड मैदान में केंद्रीय सरना समिति में करम महाेत्सव का आयाेजन किया. झारखंडी संस्कृति से जुड़े इस पर्व पर बहनाें ने अपने भाई की लंबी आयु के लिए उपवास रख करम डाल की पूरे विधि-विधान से पूजा की. बहनाें ने बांस की टोकरी और गमलों में करम-डाली सजाकर उसकी चारों ओर परंपरागत नृत्य किया. समिति के पाहन की देखरेख में सारे अनुष्ठान कराये गये. दूर-दराज से लाेग करम महाेत्सव में शामिल हाेने झारखंड मैदान पहुंचे थे.

करम एकादशी का है विशेष महत्व

शास्त्रों में निर्जला एकादशी के साथ-साथ करम एकादशी का विशेष महत्व है. इस दिन के व्रत को पुण्य का व्रत माना गया है. व्रतियों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है. शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी पर जब भगवान विष्णु शयन पर चले गये थे, तो उसके बाद उन्होंने भादो में एकादशी के दिन करवट बदली थी. इसे करम एकादशी भी कहा जाता है.

देर रात तक चला कार्यक्रम

झारखंड मैदान में करम महोत्सव देर रात तक जारी रहा. पारंपरिक गीतों पर बहनों ने सामूहिक रूप से नृत्य किया. मुख्य अतिथि झरिया विधायक रागिनी सिंह, विशिष्ठ अतिथि कुंभनाथ सिंह, रमेश राही व धनबाद थाना प्रभारी आरएन ठाकुर, बिरसा मुंडा, नरेन्द्र त्रिवेदी, विनोद पासवान, रुपेश पासवान थे. केन्द्रीय सरना समिति चिरागोड़ा के संरक्षक विरेन्द्र हांसदा, अध्यक्ष हांगो उरांव, उपाध्यक्ष रवि लाल बास्की, राज किशोर हांसदा, सचिव रौशन टुडू , सह सचिव किशोर मुर्मू , अमित मुर्मू , कोषाध्यक्ष राजू हांसदा, सदस्य बिरसा उरांव, मंगल कोक, रवि नायक, प्रकाश भगत , विनय उरांव, अनिल सिंह मुंडा, रूपलाल बेदिया, अनिल कुजूर , दीपक कुजूर, फोटो मुर्मू सत्यनारायण मुर्मू , लखीराम मुर्मू , बिनय टुडू, राहुल बस्की, संजय मरांडी, अक्षय मुर्मू, अजय सोरेन, चंदन बास्की, सुधीर बास्की, संजय लकड़ा, शिव नारायण बेसरा, मणींद्र हांसदा, विजय मुर्मू , रोशन कुजूर, विक्रम उरांव, विश्वास होरो, सोनू मरांडी, अजय बास्की, सुशील सोरेन, मनीष हेंब्रम आदि थे.

पर्व का विशेष महत्व

विरेन्द्र हांसदा ने कहा कि इस त्योहार को मनाने का उद्देश्य सरना धर्मावलंबियों को एक सूत्र में बांध कर रखना है. जब तक प्रकृति है तब तक इस धरती पर जीवन है. इसे जितनी जल्दी लोग समझेंगे उतनी जल्दी लोग जीवन में रोगों से मुक्ति पायेंगे और सुखी जीवन व्यतीत कर पायेंगे. पारंपरिक तौर पर यह पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक माना गया है. इस त्योहार को मनाने में करमा और धरमा दो भाईयों की कहानी प्रसिद्ध है.

करमा की कथा सुनी जाती है

करम कथा सुनाकर पूजा करायी जाती है. वैसे इसकी तैयारी कुंवारी कन्याओं के द्वारा पांच, सात या नौ दिनों पूर्व छोटी-बड़ी टोकरियों में विभिन्न प्रकार की अनाज के दाना से जावा फूल (पौधे) तैयार किये जाते हैं. चार, छह या आठ दिनों तक अंधेरे कमरे में रख कर हल्दी-पानी से जावा को सींचा जाता है और धूप-अगरबत्ती दिखाई जाती है. पूजा में भाग लेने वाले भाई -बहन करम त्योहार के दिन उपवास रख कर शाम में पूजा के बाद जल या शरबत ग्रहण करते हैं. फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं.

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