बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के अधीन पीके रॉय मेमोरियल कॉलेज की गिनती झारखंड के प्रतिष्ठित कॉलेजों होती है. इसे राज्य सरकार ने प्रिमियर कॉलेज का दर्जा दिया है. आधारभूत संरचना के विकास के लिए पिछले वर्षों में कॉलेज को पर्याप्त फंड मिला है. कई परियोजनाएं अभी स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं. लेकिन मानव संसाधन की स्थिति गंभीर बनी हुई है. कॉलेज में 14 विभागों के 44 पद स्वीकृत हैं, जबकि वर्तमान में केवल 14 स्थायी और आठ नीड बेस्ड शिक्षक ही कार्यरत हैं. तीन विभाग, जियोलॉजी, साइकोलॉजी और फिलॉसफी पूरी तरह बिना शिक्षक के चल रहे हैं.
जियोलॉजी विभाग : नासा तक पहुंचे छात्र, पर खुद संकट में
कॉलेज का जियोलॉजी विभाग ऐतिहासिक महत्व रखता है. 1980 के दशक में खनन क्षेत्र की आवश्यकता को ध्यान में रखकर रांची विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसे शुरू कराया था. यहां से पढ़े छात्र देश-विदेश में जियोलॉजिस्ट बने हैं. नासा जैसे संस्थानों में भी यहां से पढ़े वैज्ञानिक कार्यरत हैं. बावजूद इसके यह विभाग आज तक राज्य सरकार से औपचारिक स्वीकृति नहीं पा सका है. इसके लिए अलग से शिक्षक का पद स्वीकृत नहीं है. फिर भी यह विभाग कॉलेज की पहचान है. पूरे विश्वविद्यालय में यूजी स्तर पर जियोलॉजी की पढ़ाई केवल यहीं होती है. शिक्षक के बिना इस विभाग के छात्र आज प्राइवेट ट्यूशन या ऑन लाइन स्टडी मेटेरियल के भरोसे पढ़ाई कर रहे हैं.
साइकोलॉजी और फिलॉसफी विभाग भी संकट में
साइकोलॉजी विभाग में एक भी शिक्षक नहीं है. हालांकि कॉलेज की प्राचार्या डॉ कविता सिंह खुद साइकोलॉजी की शिक्षक हैं. लेकिन इसके साथ ही वह बीबीएमकेयू में साइकोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष भी हैं. उन्हें विश्वविद्यालय और कॉलेज दोनों का प्रशासन संभालना पड़ता है. परिणामस्वरूप विभाग में नियमित कक्षाएं नहीं हो पातीं. फिलॉसफी विभाग में भी छात्र अधिक हैं, लेकिन एक भी शिक्षक नहीं है. वहीं बंगला विभाग स्वीकृत, तो है, लेकिन उसमें न शिक्षक है न छात्र.चार सेल्फ फाइनेंस कोर्स
कॉलेज में इसके साथ ही चार वोकेशनल कोर्स की भी पढ़ाई होती है. इनमें बॉयोटेक्नोलॉजी, इंवायरमेंट साइंस, बीसीए और बीबीए शामिल हैं. यह कोर्स सेल्फ फाइनेंस कोर्स है. इन कोर्स का संचालन कॉलेज के यह शिक्षक, सेवानिवृत शिक्षक और नीड बेस्ड शिक्षकों की मदद से की जाती है.विभागवार स्थिति
इंग्लिश : स्वीकृत 3, कार्यरत 3हिन्दी : स्वीकृत 3, कार्यरत 1
हिस्ट्री : स्वीकृत 2, कार्यरत 1 स्थायी 2 नीड बेस्डपॉलिटिकल साइंस : स्वीकृत 2, कार्यरत 1 स्थायी 1 नीड बेस्डइकोनॉमिक्स : स्वीकृत 2, कार्यरत 1 स्थायी 1 नीड बेस्डउर्दू : स्वीकृत 1, कार्यरत 1
साइकोलॉजी : स्वीकृत 1, कार्यरत 0फिलॉसफी : स्वीकृत 2, कार्यरत 0फिजिक्स : स्वीकृत 6, कार्यरत 1केमेस्ट्री : स्वीकृत 6, कार्यरत 1 स्थायी 1 नीड बेस्ड
मैथ : स्वीकृत 2, कार्यरत 1 नीड बेस्डबॉटनी : स्वीकृत 4, कार्यरत 2जूलॉजी : स्वीकृत 4, कार्यरत 1कॉमर्स : स्वीकृत 2, कार्यरत 1 स्थायी 2 नीड बेस्ड
शिक्षकेतर कर्मचारियों की स्थिति भी चिंताजनक
तृतीय श्रेणी के 27 स्वीकृत पदों में केवल आठ कर्मचारी कार्यरत हैं. चतुर्थ श्रेणी के 41 स्वीकृत पदों में केवल छह कर्मचारी काम कर रहे हैं. इससे कॉलेज का प्रशासनिक ढांचा भी प्रभावित हो रहा है.प्राचार्या की पहल
डॉ कविता सिंह बताती हैं कि जहां शिक्षकों की कमी है, वहां अन्य कॉलेजों से सहयोग लेकर काम चलाने की कोशिश की जाती है. साइकोलॉजी विभाग को संभालने के लिए वह स्वयं अतिरिक्त जिम्मेदारी निभा रही हैं. इन प्रयासों के बावजूद पर्याप्त शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों की कमी कॉलेज की बड़ी चुनौती बनी हुई है.प्रभात खबर इंपैक्ट : एसएसएलएनटी महिला कॉलेज में वैकल्पिक व्यवस्था से मिले शिक्षक
प्रभात खबर द्वारा एसएसएलएनटी महिला कॉलेज में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाने के बाद बीबीएमकेयू प्रशासन ने इस दिशा में पहल की है. कॉलेज में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गयी है. यूजी फिलॉसफी विषय की कक्षाओं के लिए डॉ कृष्ण मुरारी, सहायक प्राध्यापक, विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर फिलॉसफी विभाग से सप्ताह में तीन दिन सहयोग देंगे. इसके अलावा फिजिक्स, मैथ सहित अन्य विषयों की कक्षाओं के संचालन के लिए डिग्री कॉलेज झरिया और एसएसएलएनटी महिला कॉलेज के बीच शिक्षक आदान-प्रदान का प्रावधान किया गया है. इस पहल से छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में होने वाली कठिनाई से राहत मिलने की उम्मीद जतायी जा रही है.
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