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Dhanbad News : रांची से तय होगा भाजपा के मंडल व जिलाध्यक्ष का नाम

तीन-तीन नामों का मांगा गया पैनलपार्टी का संगठनात्मक चुनाव आज सेपहले बूथ अध्यक्षों का होगा चयनहोली के बाद पूरी होगी प्रक्रिया

धनबाद जिला में भाजपा का संगठनात्मक चुनाव एक मार्च से शुरू होगी. पहले चरण में बूथ अध्यक्षों का चयन होगा. फिर मंडल एवं उसके बाद जिलाध्यक्ष का चुनाव होगा. इस बार मंडल एवं जिलाध्यक्ष का चयन प्रदेश नेतृत्व करेगा. इन पदों के लिए तीन-तीन नामों का पैनल मांगा गया है. चुनाव के नाम पर एक बार फिर से मनोनयन की तैयारी चल रही है. सूत्रों के अनुसार भाजपा ने झारखंड में चुनाव प्रक्रिया एक मार्च से शुरू करने की घोषणा की है. इसके लिए जिला वार चुनाव प्रभारी एवं चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किया है. धनबाद जिला में भाजपा सांगठनिक दृष्टिकोण से दो भाग में बंटा है. महानगर एवं ग्रामीण. धनबाद महानगर में 17 तथा धनबाद ग्रामीण में 18 मंडल है. पूर्व मंत्री राज पालीवार को धनबाद महानगर का पर्यवेक्षक तथा गोड्डा के पूर्व विधायक अमित मंडल को चुनाव प्रभारी बनाया गया है. इसी तरह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बाल मुकुंद सहाय को धनबाद ग्रामीण जिला भाजपा का चुनाव प्रभारी बनाया गया है. जबकि विनय जायसवाल को सह प्रभारी नियुक्त किया गया है. दोनों ही स्थानों के प्रभारी एवं पर्यवेक्षकों ने यहां पर बैठक कर चुनाव के बारे में बता दिया है.

होली के बाद गरमायेगी राजनीति :

भाजपा की चुनावी राजनीति में होली के बाद सरगर्मी तेज होगी. यह तय हो चुका है कि मंडल एवं जिलाध्यक्षों की घोषणा रांची से ही होनी है. यानी प्रदेश नेतृत्व ही नाम तय करेगा. संबंधित क्षेत्र के सांसद, विधायक, जिला कमेटी से तीन-तीन नाम का पैनल मांगा गया है. जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा से पहले सूची नयी दिल्ली भेजी जायेगी. राष्ट्रीय नेतृत्व से सहमति के बाद जिलाध्यक्ष की घोषणा होगी. धनबाद ग्रामीण एवं धनबाद महानगर दोनों जिलाध्यक्षों के लिए अभी से कई नेता मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. अब नये सिरे से लामबंदी शुरू हो गयी है. इस बार के चुनाव में यहां के कई क्षत्रपों की भी अग्नि परीक्षा होगी.

धनबाद पर टिकी हैं सबकी निगाहें :

धनबाद भाजपा के संगठनात्मक चुनाव पर पार्टी के दूसरे जिलों के नेताओं की भी नजर है. पिछली बार कमेटी गठन के बाद से ही महानगर एवं ग्रामीण दोनों स्थानों पर विक्षुब्धों का एक धड़ा लगातार विरोध में रहा. यहां से लेकर दिल्ली तक विरोध जताया. नेतृत्व परिवर्तन की मांग होती रही. यह अलग बात है कि प्रदेश एवं केंद्रीय नेतृत्व ने फैसले में कोई चेंज नहीं किया. इस बार सभी गुट एक-दूसरे को पछाड़ने के लिए एड़ी-चोटी एक किये हुए हैं.

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