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Dhanbad News : प्रभात खबर लीगल काउंसेलिंग में अधिवक्ता ने दिया जवाब-रिकवरी एजेंट परेशान करें तो थाना, बैंक में शिकायत करें

लीगल काउंसेलिंग में पारिवारिक विवाद के ज्यादा मामले आये सामने

भूमि, संपत्ति, दुर्घटनाओं के लिए बीमा कंपनियों से क्लेम और पारिवारिक विवादों में कानूनी रास्ता अपनाने से पहले आपसी सहमति से सुलझाने का प्रयास करना चाहिए. कई बार ऐसे मामले केवल बातचीत और समझौते से हल हो सकते हैं. अदालतों के चक्कर में पड़ने से समय और धन दोनों की हानि होती है. यह सुझाव रविवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने दिया.

झरिया से मो. आफताब का सवाल :

मेरी पत्नी लंबे समय से अपने मायके में रह रही है. अदालत ने उसे मेरे साथ रहने का आदेश दिया है, लेकिन वह फिर भी नहीं आ रही है. उल्टा उसने मेरे खिलाफ धारा 498ए के तहत मेंटेनेंस के लिए कोर्ट में मामला दर्ज करवा दिया है. क्या कानूनी कदम उठाना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

अदालत ने आपके पक्ष में आदेश दे दिया है, फिर भी आपकी पत्नी आपके साथ नहीं रहती तो यह परित्याग माना जा सकता है. आपकी पत्नी यदि दो साल या उससे अधिक समय तक आपके साथ नहीं रह रही है बिना किसी ठोस कारण के, तो आप मुस्लिम मैरिज डिसोल्यूशन एक्ट या शरीयत के तहत तलाक की याचिका दायर कर सकते हैं. जहां तक मेनटेनेंस का मामला है, तो सबसे पहले आपने अगर अग्रिम जमानत नहीं लिये हैं ले लें. इस तरह के मामले में यदि पत्नी बिना कारण पति के साथ रहने से इनकार करती है, तो कोर्ट मेंटेनेंस देने से मना भी कर सकता है. आपको कोर्ट में साबित करना होगा कि आप की पत्नी जानबूझकर साथ नहीं रह रही है.

झरिया से सूरज लाल का सवाल :

मेरी पत्नी ने एक प्राइवेट बैंक से ग्रुप लोन लिया था. इसका बड़ा हिस्सा हमने चुका दिया है. लेकिन पिछले एक वर्ष से लोन की किश्त नहीं चुका पा रहे हैं. इसको लेकर रिकवरी एजेंट हमें इतना परेशान कर रहा है कि हमारे परिवार को घर छोड़ना पड़ा है. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

रिजर्व बैंक और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने स्पष्ट निर्देश है कि बैंक और रिकवरी एजेंट किसी भी तरह की धमकी, मानसिक उत्पीड़न, गाली-गलौज नहीं कर सकते हैं. आप सबसे पहले अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में रिकवरी एजेंट के उत्पीड़न की लिखित शिकायत दें. इसके साथ ही हर का बैंक का अपना एक ग्रेविएंस रीड्रेसल सेल होता है. उस सेल को अपनी आर्थिक स्थिति बताएं और अपने कर्ज पुनर्गठन की मांग करें.

बोकारो से रामसागर सिंह का सवाल :

मैं दो स्थानों पर नौकरी करता था. एक जगह मैं सरकारी सेवा में था, और दूसरी जगह एक एनजीओ में कार्यरत था. अब मैं दोनों स्थानों से सेवानिवृत्त हो चुका हूं. एनजीओ ने मेरी ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया है, लेकिन सरकारी विभाग मुझे ग्रेच्युटी नहीं दे रहा है. ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

कुछ शर्तों के तहत दोनों जगहों से आपको ग्रेच्यूटी मिल सकती है. लेकिन यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर करता है कि दोनों नौकरियां कानूनी रूप से की गई थीं या नहीं. इसका अर्थ हुआ कि एक साथ दो जगह नौकरी करने की अनुमति थी संबंधित विभाग से मिली थी या नहीं. दोनों संस्थानों में सेवा की न्यूनतम अवधि पूरी हुई है या नहीं और आपने ग्रेच्यूटी एक्ट की शर्तें पूरी की हैं या नहीं.

कतरास से श्यामल प्रमाणिक का सवाल :

हम भाइयों के बीच आपसी सहमति से बंटवारा हो रहा है. बंटवारे के लिए जमीन की मापी करवाने हेतु हमने आवेदन दिया था. विभाग ने इसके लिए नाजीर और अमीन को भेजा भी था, लेकिन वे लोग आने के बावजूद मापी नहीं कर पाए. हमें क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

सबसे पहले इस को लेकर अमीन और नाजीर के खिलाफ डीसी और सीओ से भाई के साथ मिलकर शिकात करें. इस में यह जरूर लिखें कि आपसी सहमति से बंटवारा होना है, इसलिए मापी अत्यावश्यक है. आपने नाजीर और अमीन को मौके पर बुलाया था. लेकिन उन लोगों ने आकर भी मापी नहीं की. शिकायत में अपने सभी तथ्यों को ठीक से रखें.झरिया से ओम प्रकाश का सवाल : मेरे पड़ोसी के साथ एक प्लॉट को लेकर मामला चल रहा था. इस मामले में फैसला मेरे पक्ष में आया है. इसके बाद मेरे पड़ोसी ने मुझ पर मोटर चोरी और मारपीट का झूठा मामला थाना में दर्ज करवा दिया है. अब इस स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

इस मामले में प्रतीत हो है कि भूमि विवाद में हारने के बाद बदले की भावना से आप पर झूठा आपराधिक मुकदमा (मोटर चोरी व मारपीट) दर्ज कराया गया है. इसे कानून की भाषा में मालफाइड क्रिमिनल केस कहा जाता है. इस मामले में आपके पास कानूनी विकल्प के रूप में झूठे केस के खिलाफ प्रतिकारात्मक (काउंटर) कार्रवाई अधिकार हैं. आप थाना में काउंटर केस कर सकते हैं. या फिर कोर्ट में सीपी केस कर सकते हैं.

गिरिडीह से लखन सिंह का सवाल

:

मेरी मां अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं. मेरे नाना और नानी दोनों का निधन हो चुका है. मेरे चचेरे मामा बिना मेरी मां की जानकारी के मेरे नाना के हिस्से की जमीन बेच रहे हैं. ऐसी स्थिति में मुझे अब क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता का सलाह :

अगर आपके नाना-नानी की जमीन या संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है, और फिर भी आपके चचेरे मामा लोग ज़मीन बेच रहे हैं, तो यह कानूनन अवैध बिक्री की श्रेणी में आता है. आपके पास अब कानूनी कार्यवाही के लिए जाने का मजबूत आधार है. यह धोखाधड़ी और जालसाजी, दोनों मानी जाएगी, और उनके खिलाफ फौजदारी और दीवानी दोनों तरह की कार्रवाई की जा सकती है.

गिरिडीह से कलेश्वर महतो का सवाल :

मेरी खतियानी जमीन के ऊपर बिना अनुमति के बिजली का हाई टेंशन तार गया हुआ है. इस वजह से मैं उस पर अपना घर नहीं बना पा रहा हूं. तार को हटाने के लिए मैंने बिजली विभाग के जीएम और उपायुक्त दोनों के कार्यालयों में शिकायत की है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

आपकी खतियानी जमीन पर बिना आपकी अनुमति के हाई टेंशन लाइन ले जाना अवैध है. इस मामले में आपने ने बिजली विभाग और उपायुक्त को शिकायत दी है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है. ऐसे में आप अब कानूनी रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं. आप हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकते हैं और वहां से मुआवजा के साथ बिजली तार हटवाने के लिए आदेश प्राप्त कर सकते हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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