Dhanbad News: मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए फॉर्म भरा जा रहा है. गुरुवार को फॉर्म भरने की तिथि बढ़ायी गयी है. अब 12 दिसंबर तक छात्र-छात्राएं बिना विलंब शुल्क के फॉर्म भर पायेंगे. लेकिन छात्राें को सबसे अधिक परेशानी पेन नंबर (परमानेंट एनरोलमेंट नंबर) को लेकर हो रही है. जो विद्यार्थी नियमित रूप से स्कूल में पढ़ते आ रहे हैं, उनका यू-डायस प्लस में नाम है. ऐसे का पेन नंबर जेनरेट हो चुका है. लेकिन जो किसी कारण से बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे और अब नामांकन लिए है या फिर एक से दूसरे विद्यालयों में नामांकन लिया है लेकिन पुराने विद्यालय से उनका यू-डायस प्लस से आइडी दूसरे को नहीं दिया गया है, उन्हें अधिक दिक्कत हो रही है. उनका पेन नंबर जनरेट नहीं हो पाया है. जिले में ऐसे छात्र-छात्राओं की संख्या लगभग 20 प्रतिशत है.
सीबीएसइ बोर्ड ने समाप्त कर दी है पेन नंबर की अनिवार्यता
बोर्ड परीक्षा को लेकर सीबीएसइ व जैक बोर्ड ने पेन नंबर को परीक्षा फॉर्म में भरना अनिवार्य किया था. लेकिन बाद में सीबीएसइ बोर्ड ने इस सत्र में पेन नंबर देने की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है, लेकिन जैक बोर्ड की ओर से ऐसी कोई पहल नहीं की गयी है. इसके कारण शिक्षकों के साथ ही विद्यार्थी परेशान हैं. कारण है कि यहां से अप्लाई होने के बाद भी पेन नंबर जनरेट होने में करीब 15 दिनों का समय लग रहा है.
जैक को दी गयी है जानकारी
जिले में प्लस टू उच्च विद्यालयों की ओर जैक को मामले की जानकारी दी जा रही है. पेन नंबर अनिवार्य होने के कारण आ रही परेशानी से अवगत कराया जा रहा है. इससे उनके विद्यालय के कितने बच्चे प्रभावित होंगे. इसकी जानकारी भी दी गयी है.
क्या है पेन नंबर
सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की पहचान और एकेडमिक डिटेल रखने के लिए पेन (परमानेंट एनरोलमेंट नंबर) का होना अनिवार्य कर दिया गया है. विद्यार्थियों का पेन नंबर जनरेट करने के लिए स्कूल प्रबंधकों को यू-डायस पोर्टल पर रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है. यू-डायस नंबर से ही स्कूल प्रत्येक विद्यार्थियों का पेन नंबर जनरेट कर सकते हैं. यू-डायस पोर्टल पर बच्चों की प्रोफाइल अपलोड समय पर करने को कहा गया है.
स्कूल बदलने पर भी एक ही रहेगा पेन नंबर
जो स्कूल यू-डायस पोर्टल पर बच्चों की प्रोफाइल अपलोड करेंगे, उन्हें ही बच्चों को परमानेंट एनराेलमेंट नंबर (पेन नंबर) देने का अधिकार है. स्कूलों द्वारा बच्चों को दिये जाने वाला एक पेन नंबर 12वीं तक मान्य रहता है. इस पेन नंबर के माध्यम बच्चे देश के किसी भी राज्य के स्कूल में जाकर नामांकन ले सकते हैं. पेन नंबर बच्चों की आइडेंटिटी की तरह काम करता है. इसमें बच्चे की पूरी जानकारी होने के साथ ही एकेडमिक रिपोर्ट भी देखी जा सकती है.
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