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धनबाद में नहीं है गंभीर रोग के इलाज का इंतजाम, सरकारी अस्पताल में 40% डॉक्टर व कर्मियों के पद रिक्त

धनबाद जिले के सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों व कर्मियों का टोटा है. कैंसर, न्यूरो, मनोरोग, हृदय आदि गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों को आज भी निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है.

Dhanbad news: धनबाद जिले के सरकारी अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों व कर्मियों का टोटा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो 40 प्रतिशत डॉक्टरों और कर्मियों के पद वर्षों से रिक्त हैं. जिले का सबसे बड़े अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में भी डॉक्टरों और कर्मियों की कमी के कारण सभी विभागों में इलाज की समुचित व्यवस्था अबतक नहीं हुई है.

मरीजों को करना पड़ रहा निजी अस्पतालों की ओर रुख

कैंसर, न्यूरो, मनोरोग, हृदय आदि गंभीर बीमारी से ग्रसित मरीजों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. इन बीमारियों से ग्रसित मरीजों को आज भी निजी अस्पतालों की ओर रुख करना पड़ता है. इसपर लाखों रुपये खर्च होते हैं. यही हाल सदर अस्पताल का भी है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य कमियों की कमी के कारण अबतक अस्पताल में इंडोर इलाज की सुविधा शुरू नहीं हो पायी है. सीमित डॉक्टरों के भरोसे अस्पताल में कुछ विभागों का आउटडोर सेवा शुरू की गयी है.

2016 के बाद मिले सिर्फ चार डॉक्टर
एसएनएमएमसीएच में डॉक्टरों के 189 पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में 128 डॉक्टर ही अस्पताल में पदस्थापित हैं. अलग-अलग विभागों में 61 डॉक्टरों की कमी से पिछले कई वर्षों से अस्पताल जूझ रहा है. अस्पताल में कई विभाग ऐसे भी हैं, जहां एक भी डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में जैसे-तैसे अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है. वर्ष 2016 के बाद स्वास्थ्य विभाग के साथ एसएनएमएमसीएच को सिर्फ चार नये डॉक्टर मिले. वहीं एक भी कर्मचारी की बहाली नहीं हुई है. कोरोनाकाल में भी एसएनएमएमसीएच में डॉक्टरों और कर्मचारियों की भारी कमी देखी गयी. बावजूद इसके अबतक मैनपावर बढ़ाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. धनबाद के अलावा जिले के बाहर से रोजाना हजारों मरीज इलाज कराने के लिए एसएनएमएमसीएच व सदर अस्पताल पहुंचते है. चार वर्षों में स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू करने के नाम पर केवल खानापूर्ति होती रही, लेकिन धनबाद के स्वास्थ सरकारी अस्पतालों के लिए कुछ ज्यादा नहीं हुआ.

फिजिशियन, सर्जन, पेडियाट्रिक्स के डॉक्टर नहीं
सदर अस्पताल शुरू हुए एक वर्ष से ज्यादा का समय हो चला है. सदर अस्पताल में डॉक्टरों के 24 पद स्वीकृत हैं. वर्तमान में स्थिति यह है कि अस्पताल में सिर्फ छह डॉक्टर स्वास्थ्य सेवाओं के लिये उपलब्ध हैं. फिजिशियन, सर्जन, पेडियाट्रिक्स, एनेस्थीसिया, आई, ऑर्थों, रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट, ईएनटी, साइकेट्रिस्ट, फॉरेंसिक स्पेशल, स्किन आदि के एक भी डॉक्टर अस्पताल में नहीं हैं. इसके अलावा मेडिकल ऑफिसर के पांच स्वीकृत पद में भी एक पद अबतक रिक्त है.

स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के 51 पद रिक्त
धनबाद जिले में कुल 38 स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं. इनमें 30 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (एपीएचसी) शामिल हैं. जिले के आठ प्रखंड में सभी 38 सीएचसी व एपीएचसी में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लाेगों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है. धनबाद सदर, तोपचांची, झरिया, गोविंदपुर, निरसा, बाघमारा, बलियापुर व टुंडी में क्रमश: एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व आठ प्रखंडों में कुल 30 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है, जहां लोगों का इलाज किया जाता है. जबकि, स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति यह है कि आठ प्रखंड मिलाकर बनाये गये 38 में 53 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं. अलग-अलग स्वास्थ्य केंद्रों में 51 पद अब भी रिक्त हैं. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से अब भी वंचित है.

एसएनएमएमसीएच, सदर में कर्मियों का टोटा
स्वास्थ्य सेवाओं में मेडिकल कर्मियों की भी भूमिका महत्वपूर्ण होती है. बड़ी जवाबदेही स्वास्थ्य कर्मियों के हवाले होती है. जबकि, धनबाद के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य कर्मियों का टोटा है. एसएनएमएमसीएच की बात करें तो अस्पताल में स्वास्थ्य कमियों के 700 पद स्वीकृत हैं. जबकि, वर्तमान में सरकारी व आउटसोर्स मिलाकर लगभग 500 कर्मी अपनी सेवा दे रहे. वहीं सदर अस्पताल में स्वीकृत 299 में सिर्फ 70 कर्मिचारियों को स्वास्थ्य सेवा में लगाया गया है. इसके अलावा स्वास्थ्य केंद्रों की बात करें तो कुल 104 में स्वीकृत 900 में 250 ही कार्यरत हैं.

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