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DHANBAD NEWS : मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग से लैब शुरू करने के स्वास्थ्य विभाग के आग्रह को प्रबंधन ने ठुकराया

माइक्रोबायोलॉजिस्ट के छुट्टी पर हैं. इस वजह से लैब बंद है. इसी बीच पांच को लैब का निरीक्षण करने के लिए टीबी विभाग की नेशनल टीम आने वाली है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गयी है.

शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) परिसर में टीबी के गंभीर मरीजों की जांच के लिए बने कल्चर एंड डीएसटी लैब में फिर से ताला लग गया है. केंद्र की माइक्रोबायोलॉजिस्ट के छुट्टी पर चले जाने से इसे बंद कर दिया गया है. इसी बीच पांच को लैब का निरीक्षण करने के लिए टीबी विभाग की नेशनल टीम ने आने की सूचना दी है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की चिंता बढ़ गयी है. लैब को खोलने के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शुक्रवार को एसएनएमएमसीएच पहुंचे थे. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के माइक्रोबायोलॉजिस्ट से केंद्र खोलने का आग्रह किया था. इसे एसएनएमएमसीएच प्रबंधन ने ठुकरा दिया है. बता दें कि पिछले माह कल्चर एंड डीएसटी लैब की माइक्रोबायोलॉजिस्ट ने योगदान दिया है. इससे पहले लगभग छत माह से ज्यादा समय तक वह मैटरनिटी लीव पर थीं. उस दौरान भी लैब में ताला लटका था. नेशनल टीम के आने से ठीक पहले माइक्रोबायोलॉजिस्ट एक बार फिर से छुट्टी पर चली गयी हैं.

कल्चर एंड डीएसटी लैब में एक्सडीआर की होती है जांच :

जब कोई टीबी मरीज मिलता है, तो उसमें दो प्रकार के लक्षण होते है. एक सेंसिविटी और दूसरा रेसिस्टेंस. टीबी संक्रमित गंभीर मरीज, जिन पर टीबी के इलाज से जुड़ी अधिकतर दवाइयां बेअसर साबित होती हैं, तो इसे एक्सडीआर यानी एक्स्ट्रा ड्रग रेजिस्टेंस टीबी कहा जाता है. कल्चर एंड डीएसटी लैब में एक्सडीआर जांच किट व रिएजेंट से की जाती है.

लैब में मौजूद है 3.5 करोड़ की मशीनें :

बता दें कि सात वर्ष पूर्व एसएनएमएमसीएच में साढ़े चार करोड़ रुपये की लागत से कल्चर एंड डीएसटी लैब की स्थापना की गयी. इसमें लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये की मशीनें लगायी गयी है. जिन मरीजों पर टीबी के इलाज से जुड़ी अधिकतर दवाइयां बेअसर साबित होती हैं, उन मरीजों का कल्चर एंड डीएसटी लैब में एक्सडीआर यानी एक्सट्रा ड्रग रेजिस्टेंस जांच की जाती है.

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