धनबाद . धनबाद शहर से 11 किलोमीटर दूर स्थित बाघमारा प्रखंड के नगरी कला उत्तर पंचायत के पहाड़पुर गांव. यहां 11 वर्ष पहले जलमीनार बना. ग्रामीणों को उम्मीद जगी की अब पानी की समस्या नहीं होगी. लेकिन, एक दशक से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी इस जलमीनार से एक बूंद पानी भी नहीं मिला. बैशाख में ही यहां के तालाब-कुएं सूख गये हैं. गांव से दो किलोमीटर दूर से महिलाएं पानी लाती हैं. जबिक पीने के लिए बहुत सारे परिवार जार का पानी खरीद रहे हैं.
नल-जल योजना का भी नहीं मिला लाभ
ग्रामीणों के अनुसार लगभग 11 वर्ष पहले यहां पेयजल एवं स्जवच्छता विभाग द्वारा जलमीनार बनाया गया था. जलमीनार में तोपचांची झील से पानी भी आता है. लेकिन, जलमीनार से पानी की आपूर्ति नहीं होती. वर्ष 2019 में सरकार ने लर घर नल से जल योजना शुरू की. लेकिन, इस योजना का भी लाभ यहां के ग्रामीणों को नहीं मिला. एक भी घर में पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया. पाइप भी नहीं बिछायी गयी है. ग्रामीणों के अनुसार अब तक किसी से पानी कनेक्शन के लिए आवेदन तक नहीं लिया गया है. घर के काम-काज के लिए महिलाएं रोज तीन किलोमीटर दूर से पानी भर कर लाती हैं. जबकि नित्य कर्म, स्नान के लिए भी अधिकांश लोग तीन किलोमीटर दूर तालाब ही जाते हैं. बहुत सारा परिवार पीने के लिए रोज जार वाला पानी खरीद रहा है. इससे ग्रामीणों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.
आस-पास के गांव में पेयजल समस्या नहीं
पहाड़पुर गांव में कुल 230 घर है. इस गांव के आस-पास के इलाकों में पानी की समस्या नहीं है. यहां के कई गांवों में नल जल योजना के तहत जलापूर्ति हो रही है. पहाड़पुर में तालाब एवं कुआं सूख जाने के कारण पशुओं को भी अपनी प्यास बुझाने में परेशानी हो रही है.
क्या कहती हैं महिलाएं
हर रोज दो से तीन किलोमीटर की दूरी तय करके पानी लाना पड़ता है. एक-एक बूंद पानी के लिए तड़पना पड़ता है. सरकार को अविलंब नल से जल योजना शुरू करनी चाहिए.
सुलोचना देवी.
अगर जलमीनार चालू होता तो आज हम लोगों को पानी समस्या नहीं झेलना पड़ता. गर्मी में प्यास बुझाने के लिए भी सोचना पड़ता है.
अमली देवी.
दो सोलर टंकी, एक का मोटर गायब, दूसरे का खराब
गांव में दो-दो सोलर टंकी है. लेकिन, एक का मोटर डेढ़ साल से खराब है. दूसरी टंकी का मोटर चोरी हो चुकी है. कोई इसकी सुध लेने वाला नहीं है.खेती-किसानी भी ठप
गांव में जलस्रोत सूख चुके हैं. कुएं, तालाब और जलकूप अब सिर्फ मिट्टी और धूल का ढेर रह गए हैं. गर्मी के इस मौसम में हालात और भी भयावह हो गए हैं. जब नहाने, खाना बनाने लायक पानी भी नहीं है तो खेती-सिंचाई कैसे होगी. पूरे गांव में खेती नहीं हो रही है. गांव के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका बताती हैं कि बच्चों को पानी पिलाने में भारी कठिनाई होती है. गर्मी में बच्चे बार-बार पानी मांगते हैं, लेकिन हमें पानी दूर से लाना पड़ता है. कभी-कभी बच्चों को प्यासा भी रहना पड़ता है.क्या कहते हैं मुखिया :
पंचायत के मुखिया राजेंद्र प्रसाद महतो ने कहा है कि जल्द पाइपलाइन बिछा कर नल से जल योजना के तहत घर-घर जलापूर्ति शुरू करायी जाएगी. यहां के लोगों की समस्या का निदान होगा.(इनपुट : बजरंग , हेमंत, अन्नू,अनुष्का)B
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