धनबाद.
आइआइटी आइएसएम धनबाद ने सतत ऊर्जा अनुसंधान के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. संस्थान के वैज्ञानिकों को “ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए उत्प्रेरक, उसके निर्माण की प्रक्रिया और अमोनिया से हाइड्रोजन उत्पादन में इसके उपयोग” शीर्षक वाले शोध के लिए भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा पेटेंट प्रदान किया गया है. यह नयी तकनीक भारत के ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.कॉपर आधारित नया उत्प्रेरक बना ऊर्जा शोध में मील का पत्थर
संस्थान के केमिस्ट्री एंड केमिकल बायोलॉजी विभाग के आर्टिफिशियल फोटोसिंथेसिस लैबोरेटरी के शोधकर्ता थिल्लई नटराजन एम. ने प्रो सुमंता कुमार पाधी के साथ मिलकर यह शोध किया है. दोनों ने प्रयोगशाला स्तर पर एक अभिनव कॉपर-आधारित आणविक उत्प्रेरक (कैटलिस्ट) विकसित किया है, जो अमोनिया को प्रभावी रूप से ग्रीन हाइड्रोजन और नाइट्रोजन में परिवर्तित करता है.
पर्यावरण अनुकूल है नयी तकनीक
यह कैटलिस्ट कमरे के तापमान पर काम करता है. प्रयोगों में यह लगभग 93 प्रतिशत नाइट्रोजन और 85 प्रतिशत हाइड्रोजन उत्पन्न करने में सफल रहा. यह प्रक्रिया वर्तमान में उपयोग की जा रही दूसरी महंगी धातुओं की तुलना में अधिक सस्ती, स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल है. इसके अलावा यह नई तकनीक अमोनिया को हाइड्रोजन कैरियर के रूप में उपयोग करती है, जो सुरक्षित, सस्ती और शून्य-कार्बन विकल्प प्रदान करती है. यह कैटलिस्ट डायरेक्ट अमोनिया फ्यूल सेल के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकता है. प्रो सुमंता कुमार पाधी के अनुसार यह नयी तकनीक न केवल भारत के नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को गति देगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

