भुईंफोड़ मंदिर के समीप स्थित शिवम कॉलोनी में एक घर में संचालित धनबाद नव जीवन फाउंडेशन नामक नशा मुक्ति केंद्र बिना क्लिनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीइए) लाइसेंस के चल रहा है. इस केंद्र में लगभग 45 से ज्यादा मरीज भर्ती थे, लेकिन उनकी चिकित्सा व्यवस्था से संबंधित किसी तरह का इंतजाम मौजूद नहीं था. तीन कमरे के मकान में जमीन पर मरीज बैठे हुए थे. यह खुलासा शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम के औचक निरीक्षण में हुआ. उपायुक्त व सिविल सर्जन के निर्देश पर टीम औचक जांच को नशा मुक्ति केंद्र पहुंची थी. टीम का नेतृत्व डॉ विकास कुमार राणा कर रहे थे. टीम केंद्र में विभिन्न दस्तावेजों को जब्त कर वापस लौट गयी. इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम बरवाअड्डा स्थित आरोग्य नशा मुक्ति केंद्र भी पहुंची. यहां भी जांच की गयी.
जांच में क्या मिला
बिना चिकित्सक मरीज भर्ती लिए जा रहे थे :
नव जीवन फाउंडेशन की जांच में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पाया कि नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के नाम पर भर्ती लिया जा रहा है. मरीजों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने के लिए एक भी चिकित्सक को नियुक्त नहीं किया गया है. केंद्र में भर्ती लिए जा रहे मरीजों की देखभाल के लिए पारा मेडिकल स्टाफ भी नहीं है.10/12 स्क्वायर फीट के दो रूम व हॉल में जमीन पर बैठे मिले मरीज :
टीम ने पाया कि शिवम कॉलोनी स्थित टू बीएचके मकान में नशा मुक्ति केंद्र संचालित है. इसमें 10/12 स्क्वायर फीट के दो रूम व एक हॉल है. रूम और हॉल में जमीन पर 45 से ज्यादा मरीज जमीन पर बैठे मिले.ऑनकॉल चिकित्सीय परामर्श के लिए आती हैं एक चिकित्सक :
नव जीवन फाउंडेशन नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती मरीजों को चिकित्सीय परामर्श प्रदान करने के लिए स्थायी चिकित्सक की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि, केंद्र के संचालक ने ऑनकॉल चिकित्सीय परामर्श की व्यवस्था कर रखी है. मनोरोग विशेषज्ञ एक महिला चिकित्सक ऑनकॉल मरीजों की जांच करने पहुंचती हैं.नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों के लिए ये सुविधाएं हैं जरूरी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार नशा मुक्ति केंद्र में चिकित्सा से संबंधित कई चीजें होना आवश्यक है, जो नशे की लत से पीड़ित व्यक्तियों के इलाज और पुनर्वास में मदद करते हैं. केंद्र में अनुभवी चिकित्सकों और नर्सों की उपलब्धता होनी चाहिए, जो नशे के इलाज में विशेषज्ञता रखते हों. इसके अलावा केंद्र में एक व्यापक नशा मुक्ति कार्यक्रम सूचारू रूप से चलना चाहिए. इसमें व्यक्तिगत परामर्श, समूह चिकित्सा और अन्य गतिविधियां शामिल हों. केंद्र में चिकित्सा उपचार की सुविधा होनी चाहिए. इसमें मरीजों को उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए उपचार प्रदान किया जा सके. केंद्र में एक पुनर्वास कार्यक्रम संचालित होना चाहिए. इससे मरीज को उनके जीवन को फिर से संगठित करने और समाज में दोबारा एकीकृत होने में मदद मिले. केंद्र में व्यायाम और मनोरंजन की सुविधा होनी चाहिए, ताकि मरीजों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद की जा सके.केंद्र संचालक ने कहा : सीइए की नहीं थी जानकारी, जल्द करेंगे आवेदन
संचालक राहुल कुमार चौहान ने कहा कि नशा मुक्ति केंद्र का संचालन के लिए ट्रस्ट से निबंधन किया गया है. इसके संचालन में सीइए लाइसेंस की जरूरत होती है, इसकी जानकारी नहीं है. जल्द ही सीइए लाइसेंस के लिए आवेदन करेंगे. प्रयास रहेगा कि केंद्र के संचालन के लिए आवश्यक सभी प्रक्रिया पूरी कर ली जाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है