धनबाद.
महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती के उपलक्ष्य पर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के पूर्व छात्र संगठन (धनबाद-आसनसोल चैप्टर) ने ‘भारतीय संस्कृति एवं आधुनिक शिक्षा में महामना मालवीय जी का योगदान’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया. यह आयोजन आइआइटी आइएसएम के गोल्डन जुबली लेक्चर हॉल में किया गया. इसमें मुख्य अतिथि के रूप में बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम कुमार सिंह ने अपने विचार रखे. विशिष्ट अतिथियों में एसपी (ग्रामीण) कपिल चौधरी और जिला वन पदाधिकारी विकास पालीवाल शामिल थे. अध्यक्षता इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के जीएम आरसी महापात्र ने की.मुख्य अतिथि प्रो. राम कुमार सिंह ने कहा कि महामना की शिक्षा प्रणाली सदाचार, स्वास्थ्य और उत्कृष्ट विचारों का समावेश करती है. महामना की शिक्षा संबंधी विचारधारा भारत की नई शिक्षा नीति से काफी मेल खाती है.वहीं डॉ टीएन सिंह, पूर्व निदेशक, सिंफर ने भारतीय संस्कृति और शिक्षा पर विदेशी आक्रमणों को रेखांकित करते हुए महामना के शिक्षा, समाज सुधार और सांस्कृतिक योगदान को उजागर किया. प्रो प्रमोद पाठक ने महामना को 20वीं सदी का महान ‘सोशल एंटरप्रेन्योर’ बताते हुए कहा कि उन्होंने 1911 में समावेशी और मूल्य-आधारित शिक्षा की नींव रखी. ग्रामीण एसपी कपिल चौधरी ने बताया कि महामना का उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से नैतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान करना था. कार्यक्रम का समापन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ हुआ. डॉ अभय कुमार सिंह ने संगठन की गतिविधियों की जानकारी दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है