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Dhanbad News: एसएनएमएमसीएच : अक्तूबर में पहुंचे 2878 मरीज, आधे से ज्यादा पालतू कुत्ते के काटने के शिकार

Dhanbad News: नियमित टीकाकरण व प्रशिक्षण के बिना आक्रमक हो रहे पालतू कुत्ते

Dhanbad News: शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के एंटी रैबीज वैक्सीन (एआरवी) केंद्र में इन दिनों मरीजों की भीड़ लगातार बढ़ रही है. वजह है कुत्तों के हमले. चौंकाने वाली बात यह है कि अब खतरा सिर्फ सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों से नहीं, बल्कि घर के पालतू कुत्तों से भी बढ़ रहा है. अक्तूबर माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे माह में 2878 लोग कुत्ते के काटने के बाद इंजेक्शन लेने एआरवी केंद्र पहुंचे. इनमें से 1628 मरीजों को उनके अपने ही पालतू कुत्तों ने काटा, जबकि 1250 मरीज आवारा कुत्तों के हमले का शिकार बने. यह आंकड़ा पालतू जानवरों के प्रति बढ़ती लापरवाही की ओर इशारा करता है. रोजाना 100 मरीज पहुंच रहे एआरवी सेंटर एआरवी विभाग के कर्मियों के अनुसार अस्पताल में औसतन रोज 80 से 100 लोग एंटी रैबीज वैक्सीन लेने पहुंच रहे हैं. इनमें आधे से ज्यादा मरीज पालतू कुत्ते के काटने से जख्मी हुए थे. बताया कि कई लोग यह सोचकर इंजेक्शन नहीं लगवाते हैं की कुत्ता घर का है, लेकिन यही सोच जानलेवा साबित हो सकती है. रैबीज संक्रमण में एक बार बीमारी बढ़ गयी, तो कोई इलाज संभव नहीं रहता. नियमित टीकाकरण व प्रशिक्षण के बिना आक्रमक हो रहे पालतू कुत्ते विशेषज्ञ बताते हैं कि अब शहरी परिवारों में पालतू कुत्ते पालने का चलन तो बढ़ गया है, लेकिन कुत्तों का नियमित टीकाकरण और प्रशिक्षण नहीं होने के से वे चिड़चिड़े और आक्रामक हो जाते है. कई बार बच्चे खेलते समय या खाना खाते वक्त उन्हें परेशान कर देते हैं, जिससे वे उन्हें काट लेते हैं. अक्तूबर में एसएनएमएमसीएच में दर्ज अधिकांश मामलों में कुत्तों ने अपने ही मालिकों या परिवार के सदस्यों को काटा है. रैबीज का खतरा अब भी घातक : डॉ वर्मा एसएनएमएमसीएच के मेडिसिन विभाग के डॉ एसके वर्मा ने बताया कि रैबीज आज भी जानलेवा बीमारी है. रैबीज संक्रमण के लक्षण देर से दिखायी देते हैं, लेकिन एक बार संक्रमण सक्रिय हो जाने पर मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है. उन्होंने सलाह दी कि कुत्ता काटने के तुरंत बाद घाव को कम-से-कम 15 मिनट तक साबुन और पानी से धोना चाहिए. फिर बिना देरी किये एआरवी सेंटर पहुंचना जरूरी है. पालतू कुत्ते की करायें नियमित जांच डॉ एसके वर्मा ने बताया कि कई परिवार अपने पालतू कुत्ते को खुले में घूमने देते हैं. इससे वह आवारा कुत्तों के संपर्क में आकर संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि पालतू कुत्ते की नियमित जांच और टीकाकरण जरूरी है. केस स्टडी पालतू कुत्ते ने 12 साल की बच्ची को काट किया जख्मी 19 अक्तूबर को हाउसिंग कॉलोनी की रहने वाली 12 वर्षीया स्नेहा आनंद अपने पालतू कुत्ते के काटने से बुरी तरह जख्मी हो गयी थी. परिजनों के अनुसार वह अपने कुत्ते के साथ खेल रही थी. इसी दौरान कुत्ते ने अचानक हमला कर दिया और बच्ची का मुंह और छाती नाेंच डाला. गंभीर स्थिति में पहले बच्ची को एसएनएमएमसीएच में भर्ती कराया गया. बाद में उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए रिम्स रेफर कर दिया गया.

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