Dhanbad News : अशोक कुमार, धनबाद. करीब 15 वर्ष पूर्व जिला परिषद धनबाद ने अपनी आंतरिक आय बढ़ाने के उद्देश्य से जिले भर में 21 बहुउद्देशीय भवन और विवाह मंडपों का निर्माण कराया था. इन पर लगभग सात करोड़ रुपये की लागत आयी थी. उद्देश्य था कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कम लागत पर विवाह व सामाजिक कार्यक्रमों के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराया जाये और परिषद की आय भी बढ़े. लेकिन डेढ़ दशक गुजरने के बाद भी परिषद निर्माण लागत तक वसूल नहीं कर पायी है. आज स्थिति यह है कि 21 में से 17 विवाह भवन पूरी तरह डेड एसेट बन गये हैं. कई भवन ऐसे हैं, जिनकी आज तक एक बार भी बुकिंग नहीं हुई है.
चालू स्थिति में सिर्फ चार भवन :
वर्तमान में जिले के केवल चार भवन ही चालू हैं. इनमें एलसी रोड पर कला भवन के सामने स्थित बहुउद्देशीय भवन, हीरापुर झरनापाड़ा का विवाह मंडप, मुगमा निरीक्षण भवन का विवाह मंडप और गोविंदपुर निरीक्षण भवन का विवाह मंडप शामिल हैं. इसके अलावा गोल्फ ग्राउंड पानी टंकी के समीप स्थित बहुउद्देशीय भवन और खड़ेश्वरी मंदिर के पास का विवाह मंडप प्राइवेट पार्टियों ने सरेंडर कर दिया है.जिला परिषद इन सरेंडर किये गये भवनों को लीज पर देने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है. जानकारी के अनुसार गोल्फ ग्राउंड पानी टंकी के पास स्थित विवाह मंडप को एक एनजीओ बालिका गृह के संचालन के लिए किराये पर लेना चाहता है. वहीं खड़ेश्वरी मंदिर के बगल वाले विवाह मंडप को एक अन्य एनजीओ नशा मुक्ति केंद्र के लिए लीज पर लेने का इच्छुक है.
प्रखंडवार हालात: अधिकांश भवन बंद :
धनबाद प्रखंड में पांच विवाह भवन बने थे. इनमें से सिर्फ दो चालू हैं, जबकि बेकारबांध जिला परिषद कॉलोनी का भवन सालों से बिना बुकिंग बंद पड़ा है. बाघमारा प्रखंड में बने छह विवाह भवनों की भी यही स्थिति है. इनमें से एक की भी बंदोबस्ती नहीं हो पायी है. निरसा प्रखंड के तीन भवनों में दो वर्षों से बंद पड़े हैं. कलियासोल और टुंडी प्रखंडों में बने विवाह मंडप आज तक बंदोबस्ती के इंतजार में हैं. तोपचांची प्रखंड के तीन विवाह भवन भी लंबे समय से बेकार पड़े हैं. गोविंदपुर के दो भवनों में से केवल एक ही लीज पर है.बंदोबस्त की न्यूनतम राशि में बदलाव की जरूरत : शारदा
जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह का कहना है कि ग्रामीण इलाकों के विवाह भवनों की बंदोबस्ती के लिए तय न्यूनतम राशि अधिक है. इससे बुकिंग के लिए किराया इतना बढ़ जाता है कि ग्रामीण इसे देने में सक्षम नहीं होते. यही वजह है कि भवन खाली पड़े रहते हैं. इस स्थिति को सुधारने के लिए न्यूनतम राशि घटाने पर विचार हो रहा है और जल्द ही बोर्ड में प्रस्ताव लाया जायेगा. कई भवनों की मरम्मत जरूरी है, लेकिन 15वें वित्त आयोग की राशि अभी तक नहीं मिलने के कारण फंड की कमी सबसे बड़ी चुनौती है.गलत स्थान चयन पर सवाल :
जिला परिषद सदस्य विकास महतो का आरोप है कि विवाह भवनों का निर्माण सही योजना और जरूरत को ध्यान में रखकर नहीं किया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में इन्हें ऐसी जगहों पर खड़ा कर दिया गया, जहां लोगों की पहुंच और आवश्यकता दोनों सीमित थी. ऊपर से किराया भी ग्रामीणों के लिए अधिक है. यही कारण है कि कई भवनों की आज तक एक भी बुकिंग नहीं हो पायी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

