धनबाद : भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के कोल फेडरेशन अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ (एबीकेएमएस) में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है. बीएमएस की झारखंड प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल कमेटी ने फेडरेशन के अधिकार को चुनौती दे डाली है. जबकि एसइसीएल के जोहिला क्षेत्र की यूनियन के अध्यक्ष एवं महामंत्री ने फेडरेशन द्वारा कंपनी स्तरीय कमेटियों में किए गये मनोनयन का विरोध करते हुए बीएमएस के राष्ट्रीय महामंत्री को पत्र लिखा है.
इस बीच झारखंड प्रदेश बीएमएस एवं फेडरेशन द्वारा सीएमपीडीआइ की कमेटियों में अलग-अलग मनोनयन के बाद सीएमपीडीआइ प्रबंधन ने विवाद समाप्त होने तक किसी भी कमेटी में बीएमएस के प्रतिनिधित्व पर रोक लगा दी है. चर्चा है कि ऐसे विवाद अन्य कई कंपनियों में भी हैं और फेडरेशन के खिलाफ राष्ट्रीय नेतृत्व को शिकायत की गयी है.
नेताओं ने कहा : अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह एवं महामंत्री सुधीर घुरडे ने कहा कि मामूली मामला है. संगठन जब बढ़ता है तो इस तरह की छोटी-छोटी बातें होती हैं. बात हो रही है. बहुत जल्द सब ठीक हो जायेगा. इसे अधिक तूल देने के जरूरत नहीं है. वहीं प्रदेश बीएमएस नेताओं ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि फेडरेशन बीएमएस का एक अंग है, जिसका काम औद्योगिक संबंध देखना है. कमेटी गठन एवं कंपनी की कमेटियों का अधिकार बीएमएस को है. इधर कुछ समय से फेडरेशन ने प्रदेश के कार्यों में असंवैधानिक एवं अनुचित ढंग से हस्तक्षेप शुरू कर दिया है.
एसइसीएल : संगठन विरोधी लोगों के मनोनयन का आरोप
एबीकेएमएस के महामंत्री श्री घुरडे ने एसइसीएल कंपनी स्तरीय कमेटियों जेसीसी, कल्याण बोर्ड एवं कंपनी इंचार्ज का मनोनयन करते हुए 24 अक्तूबर को पत्र जारी किया. बताते हैं कि भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ (बीकेकेएमएस) जोहिला क्षेत्र के अध्यक्ष ,महामंत्री ने 26 अक्टूबर को एमपी बीएमएस महामंत्री को एक पत्र लिखा, जिसकी प्रतिलिपि बीएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं महामंत्री को भी दी गयी है.
पत्र के मुताबिक जिनका मनोनयन किया गया है वे संगठन विरोधी गतिविधियों में संलिप्त हैं. संगठन को लगातार कमजोर करने का लगातार प्रयास करते रहते हैं. एफडीआइ के विरोध में आहूत हड़ताल को सफल बनाने एवं सदस्यता अभियान में नुकसान पहुंचाया है. ऐसे लोगों के नेतृत्व में कार्य करना संभव नहीं.