एनजीओ के जिम्मे है शहर के कॉमर्शियल एरिया में साफ-सफाई
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मार्केट की सफाई पर 5.62 लाख खर्च फिर भी जहां-तहां पसरी रहती गंदगी
एनजीओ के जिम्मे है शहर के कॉमर्शियल एरिया में साफ-सफाई प्रतिदिन 75 सफाई मजदूरों की बनती है हाजिरी हीरापुर मार्केट की स्थिति नारकीय धनबाद : शहर के कॉमर्शियल एरिया की साफ-सफाई का जिम्मा एनजीओ को है. एनजीओ के 75 मजदूर कॉमर्शियल एरिया में साफ-सफाई करते हैं. मजदूरों पर प्रति माह लगभग 5.62 लाख रुपया खर्च […]
प्रतिदिन 75 सफाई मजदूरों की बनती है हाजिरी
हीरापुर मार्केट की स्थिति नारकीय
धनबाद : शहर के कॉमर्शियल एरिया की साफ-सफाई का जिम्मा एनजीओ को है. एनजीओ के 75 मजदूर कॉमर्शियल एरिया में साफ-सफाई करते हैं. मजदूरों पर प्रति माह लगभग 5.62 लाख रुपया खर्च किया जा रहा है. लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं है. मिसाल के तौर पर हीरापुर का हाल यह है कि जगह-जगह गंदगी भरी है और बदबू से लोगों का दम घुटता है.
हीरापुर में छोटी-बड़ी चार-पांच सौ दुकानें है. मार्केट में अलग से एक मछली पट्टी है. यहां की स्थिति काफी नारकीय है. नाली नहीं होने के कारण हमेशा जल जमाव रहता है. इतनी बदबू निकलती है कि लोग नाक पर रूमाल रखकर खरीदारी करते हैं. मछली पट्टी के ठीक दूसरी तरफ गंदगी का अंबार है. यह काफी पुराना मार्केट है लेकिन नाली नहीं होने के कारण मछली पट्टी में ही पानी का जमाव रहता है. हल्की बारिश में तो स्थिति नारकीय हो जाती है. स्थिति यह है कि गंदगी के बीच ही लोग यहां खरीदारी करते हैं.
सप्ताह में एक बार आता है ट्रैक्टर : दुकानदारों का कहना है कि यहां से कचरा उठाने के लिए सप्ताह-दस दिन में ट्रैक्टर आता है. जैसे-तैसे झाड़ू लगाये जाते हैं. स्थानीय दुकानदारों ने लगातार इसकी शिकायत की है. लेकिन कोई सुधार नहीं होता है.
शहर के इन कॉमर्शियल एरिया में सफाई करते हैं एनजीओ : शहर के कॉमर्शियल एरिया में एनजीओ साफ-सफाई करते हैं. इसमें बैंक मोड़, हीरापुर, स्टील गेट, बरटांड़, पुराना बाजार आदि कॉमर्शियल एरिया शामिल है.
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