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रंजय सिंह हत्याकांड. पुलिस क्यों नहीं कर पायी गिरफ्तार, आत्मसमर्पण पर उठ रहे हैं सवाल

धनबाद : बहुचर्चित रंजय हत्याकांड में हर्ष सिंह के सरेंडर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या आत्मसमर्पण की पटकथा पुलिस के साथ मिल कर तैयार की गयी थी? क्या हर्ष की सुरक्षा को लेकर ही जेल से प्रतिद्वंद्वी गुट के शूटरों को दूसरे जेल में शिफ्ट किया गया? पुलिस चार महीने में हर्ष […]

धनबाद : बहुचर्चित रंजय हत्याकांड में हर्ष सिंह के सरेंडर को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. क्या आत्मसमर्पण की पटकथा पुलिस के साथ मिल कर तैयार की गयी थी? क्या हर्ष की सुरक्षा को लेकर ही जेल से प्रतिद्वंद्वी गुट के शूटरों को दूसरे जेल में शिफ्ट किया गया? पुलिस चार महीने में हर्ष सिंह को दबोच नहीं पायी और उसे पकड़ने के लिए कोर्ट कैंपस को चुना और वह भी ऐसी जगह कि जहां से हर्ष ने गिर कर अदालत की दीवार छू ली और पुलिस वालों ने उसे छोड़ दिया. कुछ-कुछ वैसा ही जैसे कबड्डी में खिलाड़ी के लाइन छूने पर होता है. पुलिस कोर्ट आने के रास्ते पर नाका लगाकर अथवा दूसरे तरीके से भी पकड़ सकती थी.
सरेंडर के दौरान प्रायोजित धक्का-मुक्की : हर्ष के आत्मसमर्पण की सूचना पर सरायढेला थानेदार निरंजन तिवारी पुलिस के साथ अदालत में मौजूद थे. पुलिस उपाधीक्षक (विधि-व्यवस्था) मुकेश कुमार, धनबाद थानेदार अशोक कुमार सिंह, केंदुआडीह पुलिस अंचल के पुलिस निरीक्षक सुरेंद्र सिंह के साथ बतौर दंडाधिकारी सीओ प्रकाश कुमार मौके पर मौजूद थे.
रघुकुल समर्थकों की भीड़ भी जुटी थी. सरायढेला थानेदार सादे लिबास में थे. हर्ष पुलिस कांस्टेबलों के साथ वाहन से कोर्ट गेट पर उतरा. वह तेज कदमों से कोर्ट की तरफ बढ़ा. सरायढेला थानेदार ने दौड़ कर पकड़ना चाहा तो रघुकुल समर्थकों ने धक्का-मुक्की कर ढकेल दिया. हर्ष जमीन पर गिर गया. थानेदार को रघुकुल समर्थकों ने धकेल कर पीछे कर दिया. हर्ष को जमीन से उठा समर्थकों ने सीधे अदालत में भेज दिया.
और इधर, एसएसपी ने डीएसपी से मांगी पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की रिपोर्ट : एसएसपी किशोर कौशल ने शुक्रवार को हर्ष के आत्मसमर्पण के दौरान अदालत परिसर में हंगामा, गाली-गलौज व धक्का-मुक्की मामले की जांच का जिम्मा डीएसपी (लॉ एंड ऑर्डर) को दिया है. एसएसपी ने बताया कि डीएसपी से मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी गयी है. मामले में दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. कानून हाथ में लेने का अधिकार किसी को नहीं है.
धक्का-मुक्की को ले पुलिस का रुख नर्म क्यों?
कहा जा रहा है कि पुलिस ने अदालत परिसर में हर्ष को पकड़ने का उपक्रम अपनी सक्रियता दिखाने के लिए किया. हर्ष के सरेंडर के बाद कुछ तस्वीरों में सरायढेला थानेदार का हंसता चेहरे से भी यह साबित होता है. चर्चा का विषय यह भी है कि पुलिस ने गिरफ्तारी से रोकने वाले रघुकुल समर्थकों पर कोई कार्रवाई नहीं की.
उल्टे मामले को दबाने में लगी रही. जबकि जेल गेट पर भी रघुकुल समर्थकों ने पुलिस वालों के साथ धक्का-मुक्की की और गालियां तक दी. आम तौर पर पुलिस ऐसे मामलों में सरकारी काम में बाधा का मुकदमा दर्ज करती है. मीडिया में खबरें आने के बाद वरीय पुलिस अधीक्षक ने वीडियो फुटेज के आधार पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. पुलिस उपाधीक्षक (विधि-व्यवस्था) से जांच करायी गयी. इसके बाद मामला आगे बढ़ा व धनबाद थाना में लिखित दी गयी.
काफिले में थे कई पुलिसकर्मी, क्यों नहीं दी सूचना?
हर्ष अदालत में आत्मसमर्पण करने जा रहा है. रघुकुल में वाहनों का काफिला सजा. सरकारी व निजी बॉडीगार्ड को तैयार किया गया. सूचना पाकर जिले भर से रघुकुल समर्थक अदालत परिसर पहुंच गये. रघुकुल से पुलिस सुरक्षा के साथ काफिला अदालत पहुंचा. लेकिन सरायढेला पुलिस को इसकी जानकारी नहीं मिली. जबकि रघुकुल में आधा दर्जन से अधिक पुलिस जवान हैं. वही जवान काफिला लेकर अदालत तक गये. अगर पुलिस चाहती तो अदालत से पहले हर्ष को दबोच सकती थी.
प्रतिद्वंद्वी गुट के पांच को भेजा दूसरे जेल में
हर्ष अपने आत्मसमर्पण की पटकथा बनाता रहा. इस बीच पुलिस की रिपोर्ट पर धनबाद जेल में बंद नीरज हत्याकांड के चारों शूटरों और मास्टर माइंड को धनबाद जेल से दूसरे जेल भेजा गया. आपराधिक मामले में वांटेड रघुकुल समर्थकों को 30 नवंबर को कोर्ट में सरेंडर करने को कहा गया. कहा गया कि हर्ष के साथ सरेंडर करना है. नाटकीय तरीके से हर्ष के साथ चार लोगों ने अलग-अलग मामले में कोर्ट में सरेंडर किया. इस तरह हर्ष की पटकथा में पुलिस भी भागीदार रही.

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