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कोयला खनन में विस्फोटकों की जगह नये तकनीक का इस्तेमाल आवश्यक : सीएमडी

धनबाद. : बीसीसीएल सह सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा कि वर्तमान में कोयला खनन के क्षेत्र में उपयोग किये जाने वाले विस्फोटकों की जगह नयी तकनीक का इस्तेमाल करना आवश्यक है. विदेशों में जो तकनीक पत्थरों को तोड़ने के लिए उपयोग किये जा रहे हैं, उसे हमें भी अपनाना चाहिए. वह शुक्रवार को सिंफर […]

धनबाद. : बीसीसीएल सह सीसीएल सीएमडी गोपाल सिंह ने कहा कि वर्तमान में कोयला खनन के क्षेत्र में उपयोग किये जाने वाले विस्फोटकों की जगह नयी तकनीक का इस्तेमाल करना आवश्यक है. विदेशों में जो तकनीक पत्थरों को तोड़ने के लिए उपयोग किये जा रहे हैं, उसे हमें भी अपनाना चाहिए. वह शुक्रवार को सिंफर में “ शैल विस्फोटन तकनीक, चुनौतियां तथा अवसर” विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे.
सीएमडी श्री सिंह ने कहा कि भारत समेत पूरी दुनिया में पर्यावरण को लेकर गहरी चिंता है. ऐसे में हमें पर्यावरण के अनुकूल एवं आर्थिक दृष्टिकोण को भी ध्यान में रखना होगा, ताकि खनन कार्य में लगी कंपनियों को आर्थिक बोझ से बचाया जा सके. उन्होंने कहा कि कोल इंडिया हर वर्ष कोयला खनन में उपयोग किये जाने वाले विस्फोटकों पर करीब 1700 करोड़ रुपये खर्च करती है, जिसे हम नयी तकनीक के इस्तेमाल कर बचा सकते हैं. दुर्घटना रहित विस्फोटकों के इस्तेमाल में लाने की जरूरत है.
मौके पर सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने संस्थान की कुछ महत्वपूर्ण गतिविधियों से अवगत कराते हुए कहा कि सिंफर वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की एक अंगीभूत राष्ट्रीय प्रयोगशाला है. सीएसआइआर के अंतर्गत 38 राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं, 39 आउटरीच केंद्र, 3 नवप्रवर्तन परिसर और 5 इकाइयां शामिल हैं. यह एशिया में सबसे विशाल सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान एवं विकास संगठन है.
संगोष्ठी का उद्घाटन मुख्य अतिथि गोपाल सिंह सिंह, विशिष्ट अतिथि आइआइटी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लाइफ टाइम विशिष्ट प्रोफेसर सह मोतीलाल नेहरू प्रोद्योगिकी संस्थान के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के अध्यक्ष प्रोफेसर देवेंद्र प्रताप सिंह, एनएमडीसी के अधिशासी निदेशक डॉ सीइ किंडू व सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने संयुक्त रूप से किया. शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई. मौके पर भूतपूर्व निदेशक डॉ टीएन सिंह, अमलेंदु सिन्हा, संस्थान के अनुसंधान परिषद के सदस्य व आइआइटी (आइएसएम) के प्रोफेसर एके सिंह, राष्ट्रीय शीला यांत्रिकी संस्थान के निदेशक डॉ एचएस वेंक्टेश, आइओसीएल के मुख्य प्रबंध निदेशक मनीष सिन्हा, विश्वेश्वरैया राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान नागपुर के प्रोफेसर एनआर थोटे के अलावा कई अन्य प्रतिभा संपन्न व्यक्ति मौजूद थे.

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